मिशन विद्याश्री: दिवंगत अभिभावकों के बच्चों को मिलेगा निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर

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भारत माता पब्लिक स्कूल सरगांव की एक अनुकरणीय पहल

निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111

सरगांव – शिक्षा को समाज में समानता और सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम माना जाता है। इसी सोच को साकार करते हुए सरगांव स्थित भारत माता पब्लिक स्कूल ने एक अत्यंत सराहनीय और मानवीय पहल की शुरुआत की है। स्कूल ने सत्र 2025-26 से एक नई योजना ‘मिशन विद्याश्री’ के तहत उन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने की घोषणा की है, जिनके पिता का निधन हो चुका है। इस निर्णय का उद्देश्य कठिन परिस्थितियों में जीवन जी रहे बच्चों को शिक्षा के माध्यम से सहारा देना है।

भारत माता पब्लिक स्कूल की डायरेक्टर माहेश्वरी सिंह निषाद ने इस पहल की जानकारी देते हुए बताया कि समाज में कई ऐसे परिवार हैं, जो अपने जीवन के सबसे बड़े संकट – परिवार के मुखिया की मृत्यु – से जूझ रहे होते हैं। ऐसे समय में बच्चों की शिक्षा अक्सर सबसे पहले प्रभावित होती है। आर्थिक तंगी के कारण कई बच्चे अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसे बच्चों के लिए ‘मिशन विद्याश्री’ एक आशा की किरण बनकर सामने आएगा।

मिशन विद्याश्री का उद्देश्य

इस योजना का प्रमुख उद्देश्य उन बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाना है, जिनके पास संसाधनों की कमी है लेकिन प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। दिवंगत पिता वाले बच्चों को न केवल स्कूल में निःशुल्क प्रवेश मिलेगा, बल्कि उनकी शिक्षा संस्थान की सर्वोच्च कक्षा (जैसे दसवीं या बारहवीं) तक पूर्णतः निःशुल्क रहेगी।

पात्रता और प्रक्रिया

मिशन विद्याश्री के तहत पात्रता की मुख्य शर्त यह है कि विद्यार्थी के पिता का निधन हो चुका हो और वह सरगांव परिक्षेत्र का निवासी हो। इच्छुक छात्र अथवा उनके परिजन स्कूल कार्यालय में आवश्यक दस्तावेजों के साथ संपर्क कर इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी और हर वर्ष नए पात्र छात्रों को इस योजना में शामिल किया जाएगा।

समाज में शिक्षा का दीपक

भारत माता पब्लिक स्कूल का यह कदम न केवल समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारी को दर्शाता है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में एक नई मिसाल भी कायम करता है। यह पहल दिखाती है कि एक शैक्षणिक संस्था न केवल ज्ञान देने वाला केंद्र है, बल्कि वह समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशील भी है।

स्कूल प्रबंधन का कहना है कि मिशन विद्याश्री के माध्यम से वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई बच्चा सिर्फ इस कारण से शिक्षा से वंचित न रह जाए क्योंकि उसने अपने पिता को खो दिया है। शिक्षा एक मौलिक अधिकार है और हर बच्चे को इसका लाभ मिलना चाहिए, चाहे उसकी पारिवारिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।

सामाजिक सराहना

जैसे ही इस योजना की घोषणा हुई, स्थानीय समाज में इसे लेकर अत्यंत सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली। अभिभावकों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्कूल के इस निर्णय की खुलकर सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह योजना वास्तव में उन परिवारों के लिए वरदान साबित होगी जो कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। कई लोगों ने इसे “मानवता का सच्चा उदाहरण” बताया।

प्रेरणा और विस्तार की संभावनाएं

माहेश्वरी सिंह निषाद ने यह भी बताया कि यदि भविष्य में और संसाधनों की उपलब्धता होती है, तो योजना का विस्तार अन्य कठिन परिस्थितियों में जीवन व्यतीत कर रहे बच्चों तक भी किया जा सकता है। उन्होंने यह भी आह्वान किया कि समाज के अन्य प्रतिष्ठान और व्यक्ति भी आगे आकर इस तरह की पहल में सहयोग करें या अपने स्तर पर ऐसे प्रयास शुरू करें।

समापन विचार

भारत माता पब्लिक स्कूल, सरगांव की ‘मिशन विद्याश्री’ योजना वास्तव में एक संवेदनशील, सामाजिक और शिक्षाप्रद कदम है। यह पहल इस बात का उदाहरण है कि शिक्षा केवल एक पेशा नहीं, बल्कि समाज के प्रति एक जिम्मेदारी है। जब स्कूल शिक्षा को एक मिशन बना लेते हैं, तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन की नींव रखी जाती है।

आने वाले समय में यह मिशन न केवल बच्चों की जिंदगी संवारने में मदद करेगा, बल्कि समाज में शिक्षा के महत्व और समान अवसरों की आवश्यकता को भी उजागर करेगा। भारत माता पब्लिक स्कूल का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा और यह संदेश देगा कि शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है – चाहे उसकी परिस्थितियां कैसी भी हों।

इच्छुक परिजन स्कूल से संपर्क करें
अगर आप या आपके जानने वालों में कोई बच्चा इस योजना के लिए पात्र है, तो कृपया भारत माता पब्लिक स्कूल, सरगांव के कार्यालय से संपर्क करें। दस्तावेज़ी प्रक्रिया पूरी करने के बाद बच्चे को योजना में शामिल किया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए स्कूल में कार्यालयीन समय में संपर्क किया जा सकता है।

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Author: Deepak Mittal

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