जनगणना प्रपत्र में “अग्रवाल जाति” को पृथक दर्ज करने की मांग, मुख्यमंत्री साय के जरिए सौंपा गया ज्ञापन

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रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रांतीय अग्रवाल संगठन ने आगामी जनगणना के फार्म में “अग्रवाल जाति” को अलग से दर्ज करने की मांग की है। इस संबंध में संगठन ने राष्ट्रीय रजिस्ट्रार जनगणना को संबोधित ज्ञापन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के माध्यम से सौंपा है।

प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. अशोक अग्रवाल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मुलाकात करने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि अग्रवाल समाज परंपरागत रूप से व्यापार और वाणिज्य से जुड़ा रहा है, लेकिन ब्रिटिश शासन काल से ही जनगणना प्रपत्रों में इसे केवल “बनिया” या “वैश्य” के रूप में दर्शाया जाता रहा है। यह ऐतिहासिक त्रुटि अब तक चली आ रही है, जिसे आगामी जनगणना में सुधारने की ज़रूरत है।

मुख्यमंत्री से मिला आश्वासन

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना और कहा कि वे इस मांग को राष्ट्रीय स्तर तक अग्रेषित करेंगे। उन्होंने समाज को आश्वस्त किया कि वे अग्रवाल समाज को जनगणना में पृथक जाति के रूप में दर्ज किए जाने की सिफारिश करेंगे।

कास्ट सेन्सस की पृष्ठभूमि में मांग

प्रांतीय संगठन मंत्री सुनील अग्रवाल बॉबी ने बताया कि भारत सरकार ने आगामी जनगणना के तहत नागरिकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के साथ-साथ जातिगत जानकारी भी एकत्र करने की घोषणा की है। इसी क्रम में अग्रवाल समाज ने यह मांग उठाई है कि उन्हें “अग्रवाल” के नाम से ही दर्ज किया जाए, न कि किसी सामान्यीकृत वर्ग के तहत।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख सदस्य:

  • राजेश महालवाला (सूरजपुर)

  • मुकेश गर्ग

  • राजेंद्र अग्रवाल राजू (प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष, बिलासपुर)

  • संजय अग्रवाल (प्रांतीय महामंत्री, रायपुर)

  • नंदकिशोर अग्रवाल नंदू (प्रांतीय उपाध्यक्ष)

  • अजय खेतान (प्रांतीय संगठन मंत्री)

  • भीमसेन अग्रवालराजेश अग्रवालनरेश अग्रवाल सहित सरगुजा संभाग से अनेक प्रतिनिधि शामिल रहे।

इस मांग के साथ अग्रवाल समाज ने जातिगत पहचान के स्पष्ट उल्लेख की दिशा में एक अहम कदम उठाया है, जिससे भविष्य में उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का सही आंकलन संभव हो सकेगा।

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Author: Deepak Mittal

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