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धनतेरस पर ऐसे जलाएं यम के नाम का दीपक, नहीं सताएगा अकाल मृत्यु का डर

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Deepak Mittal

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी वाले दिन धनतेरस मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। धनतेरस के दिन यमराज की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।

इस दिन यम के नाम का दीपदान करने या यम का दीया जलाया जाता है। धनतेरस 2025 इस बार 18 अक्टूबर को है। ऐसे में यम का दीप जरूर जलाएं। इससे अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है।

यम का दीया जलाने की विधि:
धनतेरस के दिन यम के नाम से दीपदान की मान्यता है। इस दिन यमराज के लिए आटे का चौमुख दीपक बनाकर उसे घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। रात के समय इस दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलायी जाती हैं। इस दीपक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है। दीपक जलाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ‘मृत्युनां दंडपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप किया जाता है।

पौराणिक कथा:
धनतेरस के दिन यमराज के नाम से दीपदान किया जाता है। इस परंपरा के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जिसके अनुसार एक समय यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या कभी तुम्हें प्राणियों के प्राण लेते समय किसी पर दयाभाव आया है। तब वे संकोच में आकर बोलते हैं नहीं महाराज। यमराज ने उनसे फिर दुबारा यही सवाल पूछा तो उन्होंने संकोच छोड़ बताया कि एक बार एक ऐसी घटना घटी थी, जिससे हमारा हृदय कांप उठा था।

यह है कथा:
एक बार हेम नामक राजा की पत्नी ने एक पुत्र का जन्म दिया तो ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि जब इस बालक का विवाह होगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृत्यु हो जाएगी। यह जानकर राजा ने बालक को यमुना तट की गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर बड़ा किया। एक बार जब महाराज हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी तो उस ब्रह्मचारी बालक ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर दिया। लेकिन विवाह के चौथे दिन ही वह राजकुमार मर गया। पति की मृत्यु देखकर उसकी पत्नी बिलख-बिलख कर रोने लगी और उस नवविवाहिता का विलाप देखकर हमारा यानि यमदूतों का हृदय कांप उठा।

आकाल मृत्यु का डर नहीं सताता:
तभी एक यमदूत ने यमराज से पूछा कि ‘क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है?’ यमराज बोले- एक उपाय है। अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को धनतेरस के दिन पूजा करने के साथ ही विधिपूर्वक दीपदान भी करना चाहिए। इसके बाद अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता. तभी से धनतेरस पर यमराज के नाम से दीपदान करने की परंपरा है।

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Author: Deepak Mittal

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