Kashi: काशी विश्वनाथ धाम में लागू हुए नए नियम: पूरी तरह बैन हुई ये चीज़ें… 10 अगस्त 2025 से लागू नई गाइडलाईन

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काशी नगरी, जिसे शिव की नगरी के नाम से भी जाना जाता है, अब स्वच्छता की दिशा में एक बड़ा कदम उठा चुकी है। काशी विश्वनाथ मंदिर, जो श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है, वहां अब प्लास्टिक के प्रयोग पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।

मंदिर प्रशासन ने यह कदम शहर को प्लास्टिक मुक्त (Plastic-Free Kashi) बनाने के उद्देश्य से उठाया है। 10 अगस्त 2025 से लागू हुए इन नए नियमों के तहत अब मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को कुछ नई सावधानियों के साथ मंदिर दर्शन और पूजा-पाठ करना होगा।

कौन-कौन सी चीज़ें हुईं बैन? काशी विश्वनाथ मंदिर के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी भी प्रकार का प्लास्टिक अब मंदिर परिसर में ले जाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसमें निम्न वस्तुएं शामिल हैं: प्लास्टिक रैपर: कोई भी खाद्य या पूजा सामग्री जो प्लास्टिक में पैक हो, अब मंदिर में नहीं ले जा सकते। पॉलीथीन कैरी बैग: फूल, फल, प्रसाद या अन्य पूजा सामग्री के लिए पॉलीथीन के बैग लाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। प्लास्टिक लोटा या पात्र: जल या पंचामृत आदि के लिए इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक का बर्तन भी वर्जित किया गया है। सिंगल यूज़ प्लास्टिक आइटम्स: कोई भी एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक सामग्री जैसे चम्मच, प्लेट आदि मंदिर परिसर में निषिद्ध हैं।

इसके स्थान पर अब कागज, कपड़ा या मिट्टी से बने विकल्पों का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है। श्रद्धालु चाहें तो अपने साथ कागज़ के पैकेट, स्टील या तांबे के लोटे, और पर्यावरण के अनुकूल अन्य वस्तुएं लेकर आ सकते हैं।

नियम तोड़ने पर क्या कार्रवाई होगी? नगर निगम ने मंदिर परिसर सहित पूरे वाराणसी में प्लास्टिक के खिलाफ सख्त अभियान छेड़ा हुआ है। हाल ही में, एक अभियान के दौरान एक दुकान से 700 किलोग्राम से ज्यादा पॉलीथीन बरामद की गई थी, और संबंधित दुकानदार पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया गया। इसी तर्ज पर अब मंदिर परिसर में भी निगरानी की जाएगी। यदि कोई श्रद्धालु या दुकानदार इन नए नियमों का उल्लंघन करते पाया गया, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है और सामग्री जब्त की जा सकती है।

मंदिर प्रशासन ने क्या कहा? काशी विश्वनाथ मंदिर के CEO विश्वभूषण मिश्र ने इन नियमों पर बात करते हुए कहा: “काशी केवल आस्था का स्थल नहीं, बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण के संरक्षण का प्रतीक भी बनना चाहिए। हम चाहते हैं कि यह धाम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रदूषण मुक्त और स्वच्छ बना रहे। यह प्रयास उसी दिशा में उठाया गया कदम है।” उन्होंने आगे बताया कि मंदिर प्रशासन ने स्थानीय दुकानदारों और श्रद्धालुओं को समय रहते इस बदलाव की जानकारी दे दी थी ताकि किसी को असुविधा न हो।

श्रद्धालुओं के लिए सलाह अगर आप काशी विश्वनाथ धाम के दर्शन की योजना बना रहे हैं, तो अब पूजा की थाली तैयार करते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें: फूल, बेलपत्र, फल आदि कपड़े या कागज की थैली में रखें तांबे, स्टील या मिट्टी के पात्र में जल लेकर आएं किसी भी प्रकार का प्लास्टिक कवर, पाउच या थैली अपने साथ न लाएं यदि आपने बाज़ार से पूजा सामग्री खरीदी है तो उसका प्लास्टिक रैपर मंदिर से पहले ही हटा दें

यह पहल क्यों है अहम? वाराणसी एक धार्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक शहर भी है। यहां लाखों श्रद्धालु हर महीने देश-विदेश से दर्शन के लिए आते हैं। इतनी भीड़ में प्लास्टिक का बेतरतीब उपयोग न केवल मंदिर परिसर को गंदा करता है, बल्कि गंगा नदी जैसे पवित्र जलस्रोतों को भी प्रदूषित करता है।

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Author: Deepak Mittal

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