छत्तीसगढ़: DMF घोटाले में EOW कोर्ट में 6000 पन्नों की चार्जशीट पेश, रानू साहू, सौम्या चौरसिया समेत 9 आरोपी VC के जरिए पेश

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Deepak Mittal

रायपुर | 27 मई 2025 — बहुचर्चित डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड (DMF) घोटाले में सोमवार को राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने विशेष अदालत में 6000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। इस मामले में नामजद IAS अधिकारी रानू साहूपूर्व CM सचिव सौम्या चौरसियामाफिया सूर्यकांत तिवारी सहित 9 आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए।

क्या है DMF घोटाला?

DMF यानी डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड, जिसका उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का विकास और पुनर्वास है, लेकिन कोरबा जिले में फंड का दुरुपयोग कर भारी टेंडर घोटाला किया गया। EOW ने धारा 120B (षड्यंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत केस दर्ज किया है। जांच में सामने आया है कि:

  • टेंडर आवंटन में अनियमितता की गई।

  • ठेकेदारों से अवैध कमीशन वसूला गया।

  • 40% तक की राशि सरकारी अफसरों को कमीशन के रूप में दी गई।

  • प्राइवेट कंपनियों से 15-20% तक की घूस ली गई।

ED और EOW की रिपोर्ट से खुलासा

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रिपोर्ट के आधार पर यह केस दर्ज हुआ। रिपोर्ट के अनुसार:

  • IAS रानू साहू और अन्य अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया।

  • फर्जी दस्तावेजों और मनमानी टेंडर प्रक्रिया के ज़रिए फंड को निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया।

  • बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला ट्रांजैक्शन के संकेत भी सामने आए हैं।

चार्जशीट का दायरा

  • चार्जशीट में हजारों दस्तावेजी सबूतबैंक रिकॉर्डऑडियो-वीडियो फुटेज, और गवाहों के बयान शामिल हैं।

  • यह अब तक का सबसे बड़ा दस्तावेजीय साक्ष्य संग्रह माना जा रहा है जिसे EOW ने पेश किया है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए हुई पेशी

जिन 9 आरोपियों को VC के जरिए कोर्ट में पेश किया गया, उनमें प्रमुख नाम हैं:

  • रानू साहू (IAS अधिकारी)

  • सौम्या चौरसिया (पूर्व CM सचिव)

  • सूर्यकांत तिवारी (व्यवसायी और कथित माफिया)

  • अन्य प्रमुख सरकारी अधिकारी और ठेकेदार

आगे क्या?

EOW के मुताबिक, यह केवल प्रारंभिक चरण की चार्जशीट है। संपत्ति जब्ती, मनी ट्रेल और हवाला रैकेट पर आगे और जांच की जा रही है। कुछ और बड़े नामों के उजागर होने की संभावना है।

DMF: जनहित के फंड का निजी फायदा?

DMF का गठन खनन प्रभावित समुदायों की भलाई के लिए किया गया था। लेकिन इस घोटाले ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या जनहित योजनाओं के फंड पर भी भ्रष्टाचारियों की नजर है?

राज्य सरकार और न्यायालय की अगली कार्रवाई इस दिशा में महत्वपूर्ण नजीर बन सकती है।

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Author: Deepak Mittal

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