लैलूंगा : राजपुर में “ताले टूटे पंचायत और पुलिस की मौजूदगी में खुला स्कूल नहीं, खुला शासन का सच?…”

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

शैलेश शर्मा 9406308437नवभारत टाइम्स 24×7.in जिला ब्यूरो रायगढ़

रायगढ़ “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” जैसे नारे अब महज दिखावे और राजनीति का हिस्सा बनकर रह गए हैं। लैलूंगा के तुलाराम आर्य कन्या संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में जो घटना घटी, वह सिर्फ छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल नहीं खड़ा करती, बल्कि यह स्पष्ट संदेश देती है कि अब स्कूलों में भी राजनीति और गुंडागर्दी का बोलबाला हो चुका है।

शनिवार दोपहर, लैलूंगा का सन्नाटा तोड़ते हुए अंशुदेव आर्य, जो खुद को “प्रभु” समझने वाले एक पूर्व आर्य प्रतिनिधि सभा के सदस्य हैं, अपने पांच गुंडों के साथ विद्यालय में घुस आए। दिनदहाड़े, बिना अनुमति के विद्यालय में प्रवेश करने के बाद, महिला प्राचार्य ज्योति सतपथी से अभद्रता और जान से मारने की धमकी दी गई।

प्राचार्य को धमकी : “तुम जैसे लोगों को रास्ते से हटा देंगे, किसी को खबर तक नहीं होगी!”

जब ज्योति सतपथी ने इस गुंडागर्दी का विरोध किया, तो अंशुदेव आर्य ने उन्हें सीधे धमकी दी,
“तुमलोग कुछ नहीं हो, जाओ, नहीं तो तुम्हें ऐसे मारकर फेंकवा देंगे कि किसी को पता भी नहीं चलेगा!” यह सब उस समय हुआ, जब विद्यालय परिसर में सैकड़ों छात्राएं मौजूद थीं। अब सवाल उठता है कि क्या अब शिक्षा के मंदिर भी अपराधियों के लिए सुरक्षित हैं?

राजनीतिक गुंडों का कब्जा, शिक्षा व्यवस्था का दुरुपयोग : अंशुदेव आर्य पहले भी विवादों में रहे हैं। 21 अक्टूबर 2024 को भी उन पर गंभीर आरोप लगे थे, लेकिन तब भी प्रशासन ने आंखें मूंदे रखीं। अब उसने विद्यालय में सीधे कब्जा कर लिया — दस्तावेजों की चोरी, छात्राओं और स्टाफ को धमकाना, ताले लगवाना, और फिर से प्रशासन को खुली चुनौती देना।

चोरी का पंचनामा – सरकारी दस्तावेज़ गायब, संसाधन लापता : विद्यालय में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व लैलूंगा के आदेश पर पंचो, ग्रामवाशियों व पुलिस की मौजूदगी में पंचनामा तैयार किया गया और जब ताले तोड़े गए तो सामने आया कि महत्वपूर्ण दस्तावेज़ गायब थे। जिसमे दाखिला-खारिज रजिस्टर, निरीक्षण पत्र, मेस रजिस्टर, और विभिन्न सरकारी पंजीयां। इसके अलावा, अनाज और और कई प्रकार के दैनिक संसाधन भी गायब पाए गए। क्या ये सब अब संगठित लूट का हिस्सा बन चुके हैं?

पुलिस और प्रशासन का मौन, क्या इस मामले पर पर्दा डाला जाएगा : एफआईआर में BNS की गंभीर धाराएं लगाई गईं, लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या पुलिस और प्रशासन फिर से गुंडों के सामने घुटने टेकने का कोई मौका छोड़ देंगे? क्या इस बार भी कागज़ की कार्रवाई से अधिक कुछ होगा?

छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ – पूरक परीक्षा का संकट : इस समय विद्यालय में कक्षा 10वीं और 12वीं की पूरक परीक्षाओं के फॉर्म भरने की तैयारी चल रही है, और 10 जून तक फार्म भरने की अंतिम तिथि है। क्या डर और भय के कारण छात्राएं परीक्षा के लिए अपना नामांकन नहीं कर पाएंगी? अगर ऐसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? जवाब है  अंशुदेव और उनके गुंडों की, और उससे भी बड़ा अपराधी वह प्रशासन जो हर बार ऐसे मामलों में खामोश रहता है।

सवाल जो बनते है :

  • क्या अब बेटियों की शिक्षा भी अपराधियों के हाथों में होगी?
  • क्या महिला प्राचार्य की गरिमा और सुरक्षा की कोई कीमत नहीं?
  • क्या अब ऐसे गुंडे खुलेआम विद्यालयों में धमकियाँ देंगे?
  • क्या एफआईआर होने के बावजूद गिरफ्तारी नहीं होगी?
  • क्या बेटियों की शिक्षा केवल नारेबाजी का हिस्सा बनकर रह गई है?

हमारी मांगें :

  • अंशुदेव आर्य और उसके सभी सहयोगियों की तत्काल गिरफ्तारी।
  • विद्यालय में स्थायी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था।
  • गायब हुए दस्तावेज़ों की उच्च स्तरीय जांच।
  • लैलूंगा को गुंडा मुक्त शिक्षा क्षेत्र घोषित किया जाए।

“बेटी बचाओ” तब ही सार्थक होगा, जब बेटियों के स्कूलों में ‘बंदूक वाले’ नहीं, बल्कि ‘किताब वाले’ राज करेंगे।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

July 2025
S M T W T F S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *