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हरियाणा के 5 जिलों में हालात बिगड़े, फसलें खराब..रिहायशी इलाकों में घुसा पानी

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Deepak Mittal

प्रदेश में नदियों के पानी और बारिश के कारण हुए जलभराव के कारण हालात खराब हैं। नदियों के टूटते किनारे और जिलों में ओवरफ्लो होकर टूटती ड्रेनें लोगों की उम्मीदों को भी तोड़ रही हैं।

इनके कारण खेतों में पानी भरने से जहां किसानों की फसलें खराब हो रही हैं, वहीं रिहायशी क्षेत्र में भी जलभराव से लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

रोहतक जिले में बरसाती पानी निकासी नहीं होने से बाढ़ के हालात बने हुए हैं। उपायुक्त शनिवार को सचिन गुप्ता ने शनिवार को महम क्षेत्र के जलभराव वाले क्षेत्र का दौरा कर व्यवस्था का जायजा लिया। भैणी मातो के किसानों ने ड्रेन खोदे जाने का विरोध किया है। किसानों का कहना है कि ड्रेन खोदे जाने से उनके खेतों के रास्ते बंद हो जाएंगे। पानी उतारने का सही रास्ता भैणी सुरजन व सैमाण के बीच से है।

वहीं, झज्जर की लाल सिंह कॉलोनी में तीन दिन से हो रहे जलभराव से परेशान महिलाओं का सब्र शनिवार को टूट गया। कॉलोनी की महिलाओं ने झज्जर-बादली रोड पर उतरकर प्रदर्शन किया और सड़क पर जाम लगा दिया। इसके बाद नगर परिषद की टीम ने जल निकासी के लिए पंपसेट लगाए और पानी निकालने का कार्य शुरू किया। इसके बाद पुलिस ने महिलाओं को समझाकर जाम खुलवाया गया।

कैथल के भागल गांव में मारकंडा के पानी खेतों में आ गया है। इस समस्या पर किसानों ने शनिवार सुबह के समय प्रदर्शन किया और प्रशासन पर उचित प्रबंध न करने के आरोप लगाए। अधिकारियों ने समस्या का समाधान करने का आश्वासन देकर शांत किया।

रोहतक के खेड़ी महम में बारिश के कारण मकान गिर गया। कलानौर के वार्ड नंबर एक में मनजीत का मकान गिर गया। पीड़ित का परिवार मजदूरी करता है। वार्ड नंबर 12 में भी सतीश का मकान गिर गया है। हादसे के समय परिवार घर पर मौजूद नहीं था।

अंबाला के साहा में हालात नहीं सुधर रहे हैं। कई गांवों का संपर्क कटा हुआ है। लोगों को पेयजल मिलने में भी दिक्कत आ रही है और लोग काम पर भी नहीं जा पा रहे हैं। अंबाला शहर के गांवों का भी यही हाल है। नेशनल हाईवे 44 पर अभी भी लंबा जाम लग रहा है। भूना में राज्यस्तरीय हॉकी प्रतियोगिता स्थगित की गई है।

 कुरुक्षेत्रः मारकंडा के तटबंध नहीं हुए दुरुस्त, बीबीपुर झील की दीवार टूटी
शाहाबाद में मारकंडा में शाम पांच बजे 22143 क्यूसेक पानी का बहाव रहा जबकि खतरे का निशान 25600 क्यूसेक माना जाता है। वहीं इस्माईलाबाद के जलबेहड़ा हेड पर 15 हजार क्यूसेक दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से ऊपर है। यहां नदी के पानी के दबाव में बीबीपुर झील की एक दीवार भी टूट गई है जबकि पहले से टूटे दो तटबंध दुरुसत नहीं हो पाए हैं। अब दीवार टूटने से आसपास के दर्जनों गांवों पर बाढ़ का खतरा और मंडरा गया है। खेत ही नहीं नैसी व ठसका मीराजी गांव में भी पानी मार कर चुका है।

 पानीपतः नवादा-आर के पास भूमि कटाव
यमुना नदी में जलस्तर खतरे के निशान से घटकर अब चेतावनी स्तर 231.00 मीटर से भी नीचे आ गया है। जलस्तर कम होने से गांव खोजकीपूर, नवादा-आर के पास बांध के अंदर तेजी से भूमि कटाव हो रहा है। भूमि कटाव से किसानों की 20 एकड़ में खड़ी फसल, पॉपूलर, गन्ना व ज्वार की फसल पानी के साथ बह गई है। यमुना के टापू में बसे रहीमपुर खेड़ी गांव के लोगों को चार दिन बाद बाहर निकलने का मौका मिला है। ट्यूब पर तैर कर लोग अब आने-जाने लगे हैं।

 करनालः 500 एकड़ जमीन यमुना में समाई
जिले के तीन खंडों के 31 गांव में फसलों को 25 से लेकर 50 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। दूसरी ओर नदियों का पानी उतरने के बाद भूमि कटाव से कलसौरा गांव से डबकौली खुर्द तक 500 एकड़ जमीन यमुना में समा चुकी है। नागल गांव में 150 एकड़ भूमि का कटाव कर यमुना ने अपनी आगोश में ले लिया है। यमुना ऊपर मिट्टी और नीचे रेत लेकर आई। इससे मिट्टी जम गई और किसानों की जमीन को रेत खिसका ले गया है।

 कैथल : घग्गर में खतरे के निशान से ऊपर पानी
शनिवार शाम पांच बजे तक घग्गर नदी का जलस्तर 23.8 फीट पर रहा। ऐसे में अब जलस्तर खतरे के निशान से 8 फीट अधिक पर पहुंच गया है जिले में अब कुल करीब पांच हजार एकड़ फसल प्रभावित हुई है। इसमें 70 प्रतिशत से अधिक धान की 4200 एकड़ व पशु चारे का करीब 800 एकड़ में नुकसान हुआ है। हिमाचल व जम्मू में आई बाढ़ के कारण जिले में सेब आना बंद हो गया है।

 नारनौलः बिजली गिरने से मकान क्षतिग्रस्त
नारनौल के गांव सैदपुर में शनिवार अल सुबह तेज गर्जन के साथ बिजली गिरने से एक मकान क्षतिग्रस्त हो गया। बिजली गिरने के कारण छत पर गहरा गड्ढा हो गया और मकान का दरवाजा भी टूट गया। गांव के आधा दर्जन से अधिक घरों में बिजली उपकरण जलकर खराब हो गए। गनीमत रही कि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई।

 फरीदाबादः कटाव रोकने के लिए बनाई गई दीवार खिसकी
मंझावली यमुना पुल के पास मिट्टी का कटाव रोकने के लिए बनाई गई दीवार अपने स्थान से खिसक गई है। वहीं अन्य दीवारों की स्थिति भी ठीक नहीं है। बीते 24 घंटों में बसंतपुर क्षेत्र में यमुना नदी का स्तर करीब दो फीट घटा है। अब भी कई निचले इलाकों में पानी भरा हुआ है और हालात सामान्य होने में समय लगेगा।

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Author: Deepak Mittal

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