जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण में आदिवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका

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निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111

मुंगेली- डॉ. भीमराव अम्बेडकर शिक्षण संस्थान द्वारा संचालित डॉ. भीमराव अम्बेडकर आवासीय विद्यालय में स्वच्छता अभियान के साथ विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया । इस अवसर पर सर्वप्रथम बिरसा मुंडा, शहीद वीरनारायण सिंह, डॉ. भीमराव अम्बेडकर एवं वर्तमान राष्ट्रपति के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

संस्थान के अध्यक्ष राजेन्द्र दिवाकर एवं व्यवस्थापक एच.आर.भास्कर के निर्देशन में सभी कक्षाओं में शिक्षकों द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य, देश तथा विश्व में आदिवासियों की जनसंख्या, उनके रहन-सहन, खान-पान, संस्कृति, तीज, त्योहार, भाषा, बोली एवं शिक्षा तथा उनको मिलने वाली सुविधाओं के संबंध में संक्षिप्त जानकारी दी गई और आदिवासी लोगों के सम्मान में 23 दिसम्बर 1993 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाये जाने की घोषणा की गई। तब से विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। आदिवासी भारत के विभिन्न राज्यों में बहुसंख्यक रूप में निवासरत हैं।

लगभग 22 फीसदी आदिवासी समाज भारत देश में रहता है। छत्तीसगढ़ में तो इनकी जनसंख्या 32 फीसदी से भी ऊपर है। छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीरनारायण सिंह को देश की आजादी के लिए आंदोलन करने पर रायपुर में फांसी दे दी गई वैसे ही आदिवासियों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोकनायक बिरसा मुंडा को भगवान माना जाता है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आदिवासियों के उत्थान के लिए शहीद वीर नारायण सिंह के नाम पर प्रतिवर्ष राज्योत्सव में राज्य अलंकरण के रूप में सम्मानित किया जाता है। वर्तमान में देश के प्रथम आदिवासी नागरिक द्रोपदी मुर्म भारत की पंद्रहवीं और वर्तमान राष्ट्रपति के रूप में सुशोभित हैं। ऐसे अनेक प्रमुख आदिवासी जयपालंिसंह मुंडा, रामनारायण सिंह, जगन्ननाथ सिंह, रघुनाथ सिंह आदि हैं जिन्होंने आदिवासी समाज को संगठित करने का भरसक प्रयत्न किया।

ऐसे हैं हमारे आदिवासी सपूत उन्हें कोटिशः नमन। आदिवासी ही इस देश के मूल निवासी हैं आदिवासियों ने ही हमारे जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा किया है जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण में आदिवासियों की ही महत्ववपूर्ण भूमिका रही है किंतु आज पर्यन्त हमारे उन भोले-भाले मूल निवासियों, आदिवासियों को हम ही जंगलों, पहाड़ों और झोपड़ियों में रहने के लिए मजबूर कर रहे हैं उनको मिलने वाली सुविधाओं से वंचित कर रहे हैं।

आज जंगलों को काटने और खनिज संसाधनों की खुदाई के लिए आदिवासियों को विस्थापित किये जा रहे हैं। हमें उनकी हर समस्याओं के निदान के लिए तत्पर रहना चाहिए तभी विश्व आदिवासी दिवस मनाना सार्थक होगा।

हम सब मूलनिवासी और आदिवासी ही हैं। और अंत में जय भीम-जय भारत, जय संविधान, जय मूलनिवासी- जय आदिवासी का नारा लगाकर सभी के द्वारा विश्व आदिवासी दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दी गई । इस अवसर पर संस्थान के पदाधिकारीगण, प्राचार्य आशा दिवाकर, सह प्राचार्य छत्रपाल डाहिरे, शिक्षक-शिक्षिका, छात्र-छात्रा उपस्थित रहे।

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Author: Deepak Mittal

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