प्रदेश में शिक्षा के अधिकार (RTE) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और बीपीएल (BPL) श्रेणी के बच्चों को स्कूलों में प्रवेश न मिलने को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने सरकार के नए नियमों के चलते घटती आरटीई सीटों, फर्जी दाखिलों और योग्य बच्चों को प्रवेश न दिए जाने के आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रदेश के बड़े निजी स्कूल जानबूझकर आरटीई आवेदनों को खारिज कर रहे हैं और बाद में उन्हीं सीटों को डोनेशन और मोटी फीस लेकर भर रहे हैं। मामले में यह भी कहा गया है कि निजी स्कूलों में कुल सीटों का केवल 3 प्रतिशत ही आरटीई के तहत भरा जा रहा है। वहीं, पिछले एक साल में आरटीई के तहत दाखिले में सवा लाख की गिरावट दर्ज की गई है।
कोर्ट ने राज्य शासन और शिक्षा विभाग से यह जानकारी मांगी है कि—
1. आरटीई के तहत आरक्षित 25 प्रतिशत सीटों पर बीते वर्षों में कितने बच्चों को प्रवेश दिया गया?
2. कितनी सीटें खाली रह गईं, और अगर खाली सीटों को ओपन श्रेणी में भरा गया, तो किन नियमों का पालन किया गया?
3. आरटीई के तहत दाखिले का पूरा स्ट्रक्चर और इसकी निगरानी की क्या व्यवस्था है?
कोर्ट ने सरकार से इन बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई जल्द होने की संभावना है।
