रतलाम से इमरान खान की रिपोर्ट
रतलाम जिले के जावरा स्थित विश्व प्रसिद्ध हुसैन टेकरी शरीफ परिसर में दस दिवसीय चेहल्लुम का समापन शुक्रवार दोपहर अलविदा मजलिस के साथ हुआ। इस दौरान श्रद्धालुओं ने हजरत इमाम हुसैन साहब की शहादत को याद करते हुए खूनी मातम किया। शरीर पर नुकीली वस्तुएँ बरसाने से कई श्रद्धालु लहूलुहान हो गए, फिर भी वे मातम करते रहे।
चेहल्लुम के मुख्य आकर्षण मातम-ए-खंदक (चूल) का आयोजन शनिवार रात दस बजे शुरू हुआ। पहले हुसैनी मिशन संस्था द्वारा चयनित दूल्हों ने नंगे पैर अंगारों पर चलकर परंपरा निभाई। इसके बाद शिया समुदाय के लोग और फिर आम श्रद्धालु चूल से गुज़रे। अनुमान है कि इस वर्ष 30 हजार से अधिक श्रद्धालु चूल से निकले।
देशभर से आए करीब एक से सवा लाख जायरीन ने इस अवसर पर हुसैन टेकरी शरीफ पहुंचकर अपनी आस्था प्रकट की। अंतिम दिन सुबह अलम जुलूस, झूले, ताजिया और जुलजिनाह मुबारक निकाला गया, जो विभिन्न रोज़ों का तवाफ करते हुए बड़े रोज़े पर पहुंचा। वहां अलविदा मजलिस और तबर्रुक के साथ चेहल्लुम का समापन हुआ।
कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस-प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। समापन के बाद जायरीन की भीड़ देर रात तक रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर देखी गई।











Author: Deepak Mittal
