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लैलूंगा के बसंतपुर में पुल नहीं, इंजीनियरिंग का तमाशा तैयार!

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“पत्थर रखो, पैसा उठाओ” योजना के जनक बने इंजीनियर साहब!

रिपोर्टर: शैलेश शर्मा  9406308437 नवभारत टाइम्स 24×7.in

रायगढ़ ज़िले के लैलूंगा ब्लॉक अंतर्गत बसंतपुर गांव में पुल निर्माण को लेकर अजब-गजब इंजीनियरिंग देखने को मिल रही है।
यहां निर्माण कार्य की हालत देखकर लगता है जैसे ‘पुल नहीं बन रहा, कोई प्रयोगशाला का मज़ाक चल रहा है।’

ना कोई डिज़ाइन, ना फाउंडेशन, ना मापदंड — सिर्फ पत्थर नदी में ऐसे फैले हैं जैसे कोई पकोड़ी का घोल तले जाने से पहले कढ़ाही में बिखरा हो।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जो भी ये निर्माण देखता है, वो विज्ञान की किताबें बंद कर देता है। AutoCAD और STAAD जैसे इंजीनियरिंग सॉफ्टवेयर भी इसे देखकर “Error 404 – Logic Not Found” कहकर क्रैश हो जाते हैं।

बिना नींव, बिना रीति – बने पुल की मुख्य विशेषताएँ:

तकनीकी नक्शा केवल फाइलों तक सीमित।

फील्ड विज़िट की जगह ऑफिस मीटिंग से फैसला।

पत्थरों को नदी में ऐसे डाल देना, जैसे कोई बच्चे रेत का घर बना रहे हों।

ढलाई या मजबूती की कोई परवाह नहीं, बस काम चालू दिखना चाहिए।

गांव के बुजुर्गों का कहना है –
“हमारे बैल भी कीचड़ देखकर रुक जाते हैं, पर ये पुल वहीं बनाया जा रहा है जहां खुद जमीन कांपती है।”

अब तक न कोई जांच टीम आई, न ही कोई अधिकारी जवाबदेही लेने आया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि शायद सबको इंजीनियर साहब की “बजट-चालित तांत्रिक शक्तियों” से डर लगता है।

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Author: Deepak Mittal

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