उत्तरकाशी जिले में आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य का आज छठा दिन है. मौसम साफ होने के बाद हर्षिल और धराली से हवाई रेस्क्यू ऑपरेशन फिर शुरू हो गया है. अब तक 1126 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है.
इनमें से 480 लोगों को कल हर्षिल और नेलांग से निकालकर जोलीग्रांट, मटली और चिन्यालीसौड़ पहुंचाया गया. हेलीकॉप्टरों के 270 सोर्टीज के जरिए चिन्यालीसौड़, जॉलीग्रांट, मातली और हर्षिल से आपदाग्रस्त क्षेत्रों के लोगों को पहुंचाया गया है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज शाम 5:20 बजे आपदा कंट्रोल रूम पहुंचकर रेस्क्यू अभियान की समीक्षा करेंगे. गंगोत्री हाईवे पर डबरानी-गंगनानी के पास वैली ब्रिज का स्ट्रक्चर कार्य पूरा हो गया है और लिमचीगाड़ से आगे यातायात सुचारू होने की संभावना है. धराली की कनेक्टिविटी के लिए अहम लिमचीगाड़ पुल के तैयार होने से रेस्क्यू अभियान में तेजी आने की उम्मीद है. इसके बाद मशीनरी आगे बढ़ाकर रोड को जोड़ा जाएगा.
हर्षिल में पर्यटकों और गंगोत्री से आए मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया है. उत्तरकाशी से हर्षिल तक हवाई मार्ग खुल गया है, जबकि धराली में रोड बनाने के लिए एक्सकेवेटर्स काम कर रहे हैं. हालांकि, गंगनानी के आगे करीब 5 किलोमीटर सड़क बह जाने से सड़क संपर्क अब भी बाधित है. हर्षिल और धराली में सर्च ऑपरेशन जारी है. खराब मौसम के चलते हवाई रेस्क्यू कार्य समय-समय पर प्रभावित हो रहा है, लेकिन राहत दल लगातार मोर्चे पर जुटे हैं.
इलाकों को सेक्टरों में बांटकर रेस्क्यू ऑपरेशन के निर्देश
उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी संबंधित एजेंसियों को आपसी तालमेल के साथ काम करने और प्रभावित इलाकों को सेक्टरों में बांटने के निर्देश दिए हैं, ताकि राहत कार्य तेज और प्रभावी तरीके से हो सके. एसडीआरएफ के इंस्पेक्टर जनरल अरुण मोहन जोशी को चल रहे अभियानों का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है.
हर्षिल घाटी में बिजली आपूर्ति बहाल की गई
हर्षिल घाटी में बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई है. हर्षिल और धराली में डीजल और खाना बनाने वाली गैस की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की गई है, जबकि सड़क मार्ग बाधित होने के कारण खाने का सामान खच्चरों के जरिए पहुंचाया जा रहा है.
भूवैज्ञानिकों की टीम कर रही जांच, एक हफ्ते में रिपोर्ट सौंपेगी
मुख्य सचिव ने धराली में जल पुलिस के लिए नावें भेजने के आदेश भी जारी किए हैं, ताकि नदी और जलमार्गों में चल रहे सर्च ऑपरेशन को तेज किया जा सके. भूवैज्ञानिकों की टीमें भी उत्तरकाशी और पौड़ी जिलों में भेजी गई हैं, जो आपदा के कारणों की जांच कर रही हैं और एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट देने की उम्मीद है.

Author: Deepak Mittal
