(जे के मिश्र) : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने नव नियुक्त न्यायाधीशों से पारदर्शिता और निष्पक्षता की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यह सिर्फ एक सिद्धांत नहीं, बल्कि इसका प्रभाव उनके आदेशों और निर्णयों में स्पष्ट रूप से दिखना चाहिए।
न्यायिक अकादमी में आयोजित ओरिएंटेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम में नव पदोन्नत जिला जजों और नव नियुक्त सिविल जजों को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में ईमानदारी और निष्ठा अत्यधिक महत्वपूर्ण गुण हैं, जो व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा होते हैं।
इस अवसर पर चीफ जस्टिस सिन्हा ने प्रशिक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह प्रोग्राम न्यायाधीशों को कानूनों के व्यावहारिक अनुप्रयोग में दक्षता और आवश्यक ज्ञान प्रदान करेगा। उन्होंने नव पदोन्नत और नव नियुक्त जजों को उनके नए कार्यभार के लिए शुभकामनाएं दीं और न्यायपालिका में उनकी भूमिकाओं की महत्वपूर्णता पर प्रकाश डाला।
महिला न्यायिक अधिकारियों को विशेष रूप से बधाई देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी एक प्रगतिशील और समावेशी न्याय प्रणाली का प्रतीक है। यह न्यायपालिका की विविधता और लैंगिक समानता के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
कार्यक्रम में जस्टिस संजय के. अग्रवाल ने नव नियुक्त न्यायाधीशों को अपने दायित्वों को गंभीरता से निभाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि निष्पक्षता, ईमानदारी, और सहानुभूति के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना न्यायाधीशों का सर्वोपरि कर्तव्य है। इस अवसर पर जस्टिस सचिन सिंह राजपूत और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा भी उपस्थित थे।
मुख्य बिंदु:
न्यायिक कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता की अनिवार्यता।
नव नियुक्त और पदोन्नत न्यायाधीशों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन।
महिलाओं की न्यायपालिका में बढ़ती भागीदारी पर जोर।
न्यायिक अधिकारियों के लिए ईमानदारी, समावेशिता, और उत्कृष्टता पर आधारित प्रशिक्षण।
