धार्मिक, शैक्षणिक व प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र को प्रशासनिक दर्जा दिलाने ग्रामीणों की पहल
निर्मल अग्रवाल, ब्यूरो प्रमुख — मुंगेली
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मुंगेली। जिला मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर दूर स्थित खैरासेतगंगा क्षेत्र के नागरिकों ने जन समस्या शिविर के माध्यम से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम ज्ञापन सौंपते हुए इसे पूर्ण तहसील का दर्जा देने की मांग की है।
यह क्षेत्र व्यवसायिक, धार्मिक और प्रशासनिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। खैरासेतगंगा बिलासपुर-जबलपुर-कवर्धा राजकीय मार्ग पर स्थित होने के साथ-साथ प्रसिद्ध टेसुआ नाला तट पर बसा है। यहाँ हर वर्ष माघी पूर्णिमा पर आयोजित पांच दिवसीय मेला में करीब 80 हजार से 1 लाख श्रद्धालु पहुँचते हैं। इसके अतिरिक्त बाबा गुरु घासीदास जयंती, कृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्रि और दशहरा जैसे पर्वों पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
क्षेत्र में पहले से ही कई शासकीय संस्थान संचालित हैं — नवीन महाविद्यालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पुलिस थाना, सेवा सहकारी समिति, ग्रामीण बैंक, छात्रावास, उचित मूल्य की दुकानें और विद्यालय जैसे अनेक बुनियादी ढांचे मौजूद हैं। इसके बावजूद स्थानीय लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए 20 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय मुंगेली जाना पड़ता है, जिससे समय, संसाधन और श्रम का अपव्यय होता है।
46 ग्राम पंचायतों, 112 गांवों, लगभग 50 हजार की जनसंख्या, 30 हजार खाताधारकों, और 46 हजार से अधिक खसरा नंबरों वाला यह क्षेत्र प्रशासनिक दृष्टि से पूर्ण तहसील का पात्र है। इस संबंध में कलेक्टर मुंगेली को ज्ञापन सौंपा गया।
ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से डॉ. सुरेश केशरवानी, मानिक लाल सोनवानी, अखिल टोन्डर, सुखचंद साहु मंडल अध्यक्ष, योगेन्द्र शर्मा, नारायण शर्मा, जय देवांगन (सरपंच प्रतिनिधि), हनी सिंह (सरपंच बीजातराई), रायसिंह गबेल (सरपंच सिंगारपुर), कमल लोचन टोन्डर (जनपद सदस्य प्रतिनिधि), अश्वनी कुर्रे, लाला साहु, रूपचंद जांगड़े, विजय कुर्रे, हेमंत अहीरे, सुशील टोन्डर, निरंजन टोन्डर सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित रहे।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिकों ने एक स्वर में कहा कि सरकार को इस मांग पर गंभीरता से विचार कर खैरासेतगंगा को शीघ्र पूर्ण तहसील का दर्जा देना चाहिए ताकि क्षेत्रीय विकास को गति मिल सके।
