
बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के चिरमिरी में एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) के अधिकारियों को हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया है। एसईसीएल ने पुरातत्व विभाग से बिना अनुमति के प्राचीन शिव मंदिर के अवशेष को ब्लास्ट कर नष्ट कर दिया था।
प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करने के मामले में दिए गए एक महत्वपूर्ण आदेश का पालन न करने पर हाईकोर्ट ने चिरमिरी के एसईसीएल अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इन अधिकारियों के खिलाफ प्रस्तुत अवमानना याचिका को स्वीकार कर संबंधित अधिकारियों को चार सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है।
चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने वर्ष 2019 में याचिका प्रस्तुत कर हाईकोर्ट से मांग की थी कि चिरमिरी के सती मंदिर को संरक्षित किया जाए क्योंकि यह प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल है।
नियम के अनुसार, जो वस्तु 100 वर्ष से पुरानी हो जाती है, वह पुरातात्विक संपत्ति घोषित हो जाती है और उसके संरक्षण की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार की होती है। छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग ने इस संबंध में विधिवत जांच के बाद राज्य और केंद्र सरकार को प्रतिवेदन दिया था।
इस प्रतिवेदन में उन्होंने माना था कि चिरमिरी क्षेत्र में स्थित सती मंदिर 14वीं-15वीं शताब्दी का है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए। याचिका पर उच्च न्यायालय ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। वर्ष 2022 में इसी मुद्दे पर एक और याचिका दायर की गई थी।
दोनों याचिकाओं की सुनवाई एक साथ 19 सितंबर 2023 को की गई थी। याचिकाओं पर कोर्ट के निर्देशों का पालन एसईसीएल चिरमिरी के अधिकारियों द्वारा सही ढंग से नहीं किया गया।
सती मंदिर के अवशेष, जिनमें देवी-देवताओं की मूर्तियां थीं, को खोदकर दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया। कोयला निकालने के बहाने बारूद लगाकर ब्लास्ट किया गया, जिससे मंदिर और कई मूर्तियां नष्ट हो गईं।
एसईसीएल अधिकारियों की इस कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है और उन्हें चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में उच्च न्यायालय का यह कदम पुरातात्विक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।
