केन्द्रीय विद्यालय बिलासपुर में जनजातीय गौरव पखवाड़ा का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जा रहा है। इस पखवाड़े का उद्देश्य भारत की जनजातीय संस्कृति, उनकी समृद्द परंपराओं और उनके योगदान को उजागर करना है। इस कार्यक्रम के दौरान छात्रों, शिक्षकों और समुदाय के सदस्यों को आदिवासी समाज की समृद्ध संस्कृति से अवगत कराया गया और उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को सराहा गया।
इस कड़ी में दिनांक 23 नवम्बर को विद्यालय में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आयोजित की गईं, जिसमें आदिवासी नृत्य, संगीत और उनके योगदान पर परिचर्चा शामिल थे। बीहू, कर्मा, जसगीत, संबलपुरी, पहाड़ी आदि नृत्यों द्वारा विद्यार्थियों ने लोक कला की विविधताओं को प्रदर्शित किया, जो उनके सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं।
पखवाड़े के दौरान विद्यार्थियों के लिए विशेष शिक्षा सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में आदिवासी समाज की संघर्षशीलता, उनके पारंपरिक ज्ञान और उनके योगदान पर चर्चा की गई। छात्रों को आदिवासी अधिकारों, उनकी भाषा, पहनावे, कला और जीवनशैली के बारे में जानकारी दी गई। इसके द्वारा विद्यार्थियों को आदिवासी समुदाय के प्रति आदर और सम्मान की भावना विकसित करने का अवसर मिला।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदाय की संस्कृति और उनके योगदान को समाज के सामने लाना है। “जनजातीय गौरव पखवाड़ा” ने बच्चों को यह सिखाने का प्रयास किया कि समाज में आदिवासी समुदाय का कितना महत्वपूर्ण स्थान है। इसके माध्यम से यह संदेश दिया गया कि हमें उनके अधिकारों, संस्कृति और विरासत का सम्मान करना चाहिए। साथ ही, यह पखवाड़ा विद्यालय में एकता, सहनशीलता और विविधता के महत्व को भी उजागर करता है।
प्राचार्य अर्चना मर्सकोले ने जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस पखवाड़ा के रूप में मनाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत 15 से 26 नवंबर तक विद्यालय में विविध गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं।भगवान महावीर के विचार समूची मानवता के लिए हैं प्रेरणास्त्रोत : विष्णुदेव साय