जे के मिश्र
जिला ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स 24*7in बिलासपुर
बिलासपुर। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ज़िले का वार्षिक ऋण योजना लक्ष्य 13,532 करोड़ रुपये तय किया गया है। इस प्रस्ताव को कलेक्टर संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित जिला स्तरीय परामर्शदात्री समिति (DLCC) एवं पुनरीक्षित समिति (DLRC) की बैठक में मंजूरी दी गई।
पिछले वर्ष की तुलना में यह लक्ष्य 1,000 करोड़ रुपये अधिक है। बैठक में किसानों, गरीब हितग्राहियों, महिला स्व-सहायता समूहों और कमजोर वर्गों को ऋण वितरण में प्राथमिकता देने के स्पष्ट निर्देश कलेक्टर ने अधिकारियों को दिए।
कलेक्टर अग्रवाल ने बैंकों से आग्रह किया कि गरीब और पात्र हितग्राहियों को ऋण स्वीकृति में अनावश्यक जटिलता न बरती जाए। उन्होंने विशेष रूप से डेयरी और महुआ-तेंदूपत्ता जैसे आजीविका स्त्रोतों के लिए ऋण को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि लंबित मामलों की जांच कर शीघ्र निर्णय लें और पात्र लाभार्थियों को ऋण प्रदान करें।
अत्यावश्यक योजनाओं पर कलेक्टर का सख्त रुख
बैठक में जानकारी दी गई कि पीएम मुद्रा लोन, स्टैंड-अप इंडिया, किसान क्रेडिट कार्ड, महिला उद्यमिता योजना आदि के अंतर्गत कई मामलों में बैंकों ने औपचारिकताओं के चलते ऋण स्वीकृति में देरी की है।
कलेक्टर ने बैंक प्रतिनिधियों को सख्त निर्देश दिए कि किसी भी गरीब या जरूरतमंद को योग्य पाए जाने पर ऋण देने में देर न हो। उन्होंने बैंक शाखाओं को निर्देशित किया कि किसी भी अस्वीकृत ऋण आवेदन को बिना ठोस कारण के रद्द न करें।
141 योजनाओं में दावा निपटान और 1139 हितग्राहियों को भुगतान
बैठक में बताया गया कि राज्य शासन की बीमा योजना के अंतर्गत 141 दावा प्रकरणों में निपटान किया गया है और 1139 हितग्राहियों को राशि का भुगतान हो चुका है। कलेक्टर ने बैंकों को वित्तीय साक्षरता अभियान तेज़ करने, दूसरी बार लोन नहीं ले रहे लोगों को चिन्हित करने और ऋण अदायगी में सुधार लाने के निर्देश दिए।
जिला स्तरीय अधिकारियों और बैंक प्रबंधकों की उपस्थिति
बैठक में जिला पंचायत सीईओ आशीष अग्रवाल, आरबीआई रायपुर के सहायक महाप्रबंधक दीपक तिवारी, नाबार्ड के डीडीएम अशोक साहू, लीड बैंक प्रबंधक दिशा जायसवाल सहित जिले के समस्त बैंक अधिकारी और विभागीय प्रतिनिधि मौजूद रहे।
कुल मिलाकर यह बैठक न केवल ऋण योजना को गति देने की दिशा में निर्णायक रही, बल्कि यह सुनिश्चित करने की दिशा में भी अहम रही कि सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंच सके।
