जे के मिश्र
ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स 24*7 in बिलासपुर
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के इतिहास में पहली बार एक अनूठी पहल देखने को मिली है। मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा ने पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच भी न्यायिक दायित्वों को प्राथमिकता देते हुए लखनऊ से वर्चुअल माध्यम से अदालत की कार्यवाही में भाग लिया। यह कदम न्यायिक प्रणाली में एक नई दिशा की ओर संकेत करता है।
पारिवारिक कारणों के बावजूद निभाई न्यायिक ज़िम्मेदारी
मुख्य न्यायाधीश सिन्हा की माता जी की तबीयत गंभीर होने के कारण वे बीते कुछ दिनों से उनके उपचार के लिए लखनऊ में हैं। इसके बावजूद उन्होंने लंबित मामलों और याचिकाकर्ताओं की परेशानी को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं की सुनवाई वर्चुअली करने का निर्णय लिया।
वर्चुअल माध्यम से डिवीजन और सिंगल बेंच की सुनवाई
रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश देते हुए उन्होंने अपने समक्ष सूचीबद्ध डिवीजन बेंच और सिंगल बेंच के मामलों की लिस्टिंग सुनिश्चित करवाई। नियत समय पर डिवीजन बेंच की कार्यवाही शुरू हुई, जिसमें न्यायमूर्ति अरविंद वर्मा और याचिकाकर्ता पक्षों के अधिवक्तागण भौतिक रूप से उपस्थित थे, जबकि मुख्य न्यायाधीश वर्चुअली जुड़कर सुनवाई करते रहे।
सुनवाई के दौरान उन्होंने न केवल मामलों की बारीकियों को समझा बल्कि जस्टिस वर्मा से चर्चा करते हुए न्यायिक प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित किया। इसके बाद लंच ब्रेक के बाद उन्होंने सिंगल बेंच की कार्यवाही में भी भाग लिया।
नई तकनीक को अपनाने का उत्कृष्ट उदाहरण
इस पूरी प्रक्रिया ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से न्यायिक कार्य प्रणाली को गति दी जा सकती है। कोरोना काल में वर्चुअल सुनवाई की शुरुआत जरूर हुई थी, पर उस समय जज अदालत से ही सुनवाई करते थे। पहली बार छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में किसी न्यायाधीश ने दूरस्थ स्थान से पूरी तरह वर्चुअल जुड़कर कार्यवाही को संपन्न किया।
मुख्य न्यायाधीश श्री सिन्हा की यह पहल न केवल न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि यह न्याय प्रणाली में तकनीकी नवाचार का स्वागतयोग्य उदाहरण भी बन गया है। यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर अन्य न्यायाधीश भी इसी पथ पर चलते हुए न्याय प्रक्रिया को अनवरत जारी रखेंगे।
