एफएमसीजी सेक्टर सरकार से उपभोग को बढ़ावा देने की कर रही अपील, ग्रामीण क्षेत्रों पर रहे विशेष जोर
दैनिक उपभोक्ता सामान बनाने वाली एफएमसजी कंपनियों को 2024 में खपत में मंदी का सामाना करना पड़ा। इसकी बड़ी वजह मुद्रास्फीति और बढ़ी हुई ब्याज दरें और कच्चे माल की बढ़ती कीमतों की वजह से लागत में बढ़ोतरी हुई है। कंपनियों का कहना है हम 2025 को लेकर सर्तक हैं और उम्मीद भी कर रहे हैं कि आगामी बजट में देश की अर्थव्यवस्था में गति को बनाए रखने के लिए सरकार से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहित योजनाओं को बढ़ाने की मांग कर रहा है। उद्योग ने मांग की है कि सरकार उपभोग को बढ़ावा देने के लिए वेतनभोगी वर्ग को आयकर में राहत प्रदान करे और उद्योग से जुड़ी हुई नीतियों को बढ़ा देने की मांग की है।
जॉय पर्सनल केयर के (ग्लोबल) के संस्थापक और अध्यक्ष सुनील अग्रवाल कहते हैं, जब हम 2025 की ओर देखते हैं, तो हम सतर्कतापूर्वक आशावादी हैं जिसका समर्थन आर्थिक दृष्टिकोण में सुधार और बाजार विकास पर हमारे फोकस से मिलता है। आगामी बजट में देश की अर्थव्यवस्था में खपत को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे उपायों पर विचार किया जाना चाहिए, जो खपत को लगातार बढ़ाए और आर्थिक विकास के चक्र को गति प्रदान करते रहें।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के सीएफओ आसफि मालबारी कहते, शहरी बाजार स्थिर बने हुए हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में उत्साहजनक सुधार हुआ है, हालांकि यह सुधार छोटे आधार से हुआ है। हमें उम्मीद है कि यह सुधार, बेहतर मौसमी और कमोडिटी मूल्य स्थिरीकरण के साथ मिलकर आने वाली तिमाहियों में वृद्धि को आगे बढ़ाएगा। सरकार से बजट में ऐसी नीतियों को लागू करने की मांग उद्योग कर रहा है, जिसमें बाजार में खर्च बढ़े और महंगाई को काबू में किया जा सके।
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के प्रबंधन निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकार सुनील डिसूजा ने कहा कि वह 2025 को लेकर काफी आशावादी है। देश में प्रीमियमाइजेशन, स्वास्थ्य एवं कल्याण जैसी सुविधाएं तेजी से बढ़ने की उम्मीद है, सरकार लगातार इस ओर ध्यान दे रही है। जिसको लेकर कंपनियों को पास अच्छे अवसर होंगे। बजट में खपत को बढ़ावा देने के साथ ही कर दरों में कटौती करने से आम लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसे बचेंगे।
एक्सिस सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार कच्चे माल की बढ़ती कीमतों की वजह से एफएमसीजी कंपनियों की लागत बढ़ रही है। जिसकी वजह से कंपनियों को अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने पड़े हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार तीसरी तिमाही में अधिकांश प्रमुख इनपुट लागत अधिक रही, जिसका असर कंपनियों के सकल मार्जिन पर पड़ेगा। कमोडिटी विशेषकर कृषि और जिंसो के भाव बढ़ने की वजह से कंपनियों के सकल मार्जिन पर दबाव देखने को मिल सकता है। तीसरी तिमाही में मांग जारी रहने की उम्मीद कंपनियों को है।
सरकार की ओर से बजट में ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के लिए सब्सिडी व ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन स्कीम की घोषणा कर सकती है। वहीं मानसून सामान्य से अच्छा रहा है, इससे कृषि उत्पादन में सुधार होगा। इससे ग्रामीण खपत को बढ़ावा मिलेगा और कृषि मुद्रास्फीति को जल्द स्थिर करने में मदद मिलेगी। इन वजहों से ग्रामीण बाजार में मांग शहरी मांग से अधिक होगी।रायपुर में बीजेपी की अहम बैठक शुरू, वीडियो