छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन (सीजी एमएससी) और स्वास्थ्य विभाग में हुए 550 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है। अब जांच के घेरे में कई राजनेताओं के साथ-साथ पांच आईएएस अधिकारी भी आ गए हैं। आरोप है कि उच्चस्तरीय निर्देशों के चलते शासन की पूर्व स्वीकृति के बिना ही करोड़ों रुपये के उपकरण और मशीनें खरीदी गईं। खरीद प्रक्रिया पूरी करने के बाद शासन से औपचारिक स्वीकृति ली गई।
बताया जा रहा है कि उच्चस्तरीय सांठगांठ के चलते अधिकांश ठेके मोक्षित कॉर्पोरेशन को दिए गए। अब उन अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी की जा रही है।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने इस मामले में 18 हजार पन्नों की चार्जशीट पेश की है। चार्जशीट में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि पूर्व नियोजित रणनीति के तहत सीजी एमएससी के वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला अंजाम दिया गया।
हवाला के माध्यम से हुआ धन लेनदेन
सीजी एमएससी घोटाले में ईओडब्ल्यू के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है। आरोपी बसंत कौशिक, क्षिरोद्र रौतिया, डॉ. अनिल परसाई, कमलकांत पाटनवार, दीपक बांधे और मोक्षित कॉर्पोरेशन के मालिक शशांक चोपड़ा के खिलाफ ईसीआईआर (2/25) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
प्रारंभिक जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के भी प्रमाण मिले हैं। इस मामले में आईएएस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। ईडी जल्द ही इस प्रकरण में छापेमारी कर सकती है।
