ताजा खबर
ईपीएफओ सदस्यों को बड़ी राहत : अब भविष्य निधि खाते से निकाल सकेंगे 100 प्रतिशत राशि मुंगेली भाजपा में मंडल मीडिया प्रभारियों की बैठक संपन्न: मोदी सरकार के विकास कार्यों को जनता तक पहुंचाने का निर्देश सरगांव क्षेत्र में भारी बारिश का कहर: धान फसलें बर्बाद, किसानों की उम्मीदें धूल में मिलीं.. BIG BREAKING: बिलासपुर-ईतवारी इंटरसिटी एक्सप्रेस से RPF ने बरामद किए 3.37 करोड़ के सोना-चांदी के जेवर — नागपुर मंडल की बड़ी कार्रवाई! झारखंड विधायक जनार्दन पासवान ने केंद्रीय मंत्री तोखन साहू से की सौजन्य भेंट — शहरी विकास की नई दिशा पर हुई गहन चर्चा ‘सुशासन संवाद’ में गूंजा डिजिटल बदलाव का मंत्र — CM विष्णुदेव साय बोले, “नवाचार जनता के जीवन को सरल बनाने का माध्यम बने

छत्तीसगढ़ का गुप्त धाम: मां महिषासुर मर्दिनी की 18 भुजाओं वाली अद्भुत मूर्ति, गुफा सिर्फ सच्चे श्रद्धालुओं के लिए खुलती है

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

कोरबा: शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर पूरा देश भक्ति में सराबोर है, और छत्तीसगढ़ का कोरबा जिला इस धार्मिक उत्सव का अद्भुत केंद्र बन गया है। यहां की ऊंची पहाड़ियों और प्राकृतिक किले के बीच विराजमान हैं मां महिषासुर मर्दिनी, जिनका धाम चैतुरगढ़ या ‘लाफागढ़’ नाम से जाना जाता है। नवरात्रि में यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

इतिहास और स्थान:
चैतुरगढ़, कोरबा शहर से लगभग 100 किलोमीटर और पाली से 40 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार, इस किले का निर्माण छठी शताब्दी में गुप्तवंशीय राजाओं ने कराया था। यह एक मजबूत प्राकृतिक किला है, जिसके चारों ओर ऊंची चट्टानी दीवारें हैं। किले में तीन भव्य प्रवेश द्वार हैं – मेनका, हुमकारा और सिंहद्वार

पहाड़ी के शीर्ष पर लगभग पांच वर्ग किलोमीटर का समतल क्षेत्र है, जिसमें पांच तालाब बने हैं। इनमें से तीन सालभर पानी से भरे रहते हैं। यहीं स्थित है महिषासुर मर्दिनी मंदिर, जिसमें देवी की अठारह भुजाओं वाली अद्भुत प्रतिमा स्थापित है।

श्रद्धालुओं की आस्था:
नवरात्रि के अवसर पर हजारों श्रद्धालु मनोकामना कलश प्रज्वलित करने आते हैं। वर्षा के बीच भी श्रद्धालुओं की आस्था लगातार बनी रहती है। पहले पहाड़ी के ऊपर तक गाड़ियों की पहुंच थी, लेकिन अब नवरात्रि में गाड़ी चैतुरगढ़ से नीचे पार्क करनी पड़ती है, और लगभग आधा किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पैदल पूरी करनी होती है। मंदिर में इस वर्ष करीब 25 हजार मनोकामना ज्योत प्रज्वलित की गईं।

रहस्यमयी शंकर गुफा:
मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित है शंकर गुफा, जो 25 फीट लंबी और बेहद संकरी है। कहा जाता है कि केवल सच्चे श्रद्धाभाव वाले लोग ही गुफा के अंदर तक प्रवेश कर सकते हैं

प्राकृतिक और ऐतिहासिक महत्व:
चैतुरगढ़ की पहाड़ियां प्राकृतिक सुंदरता और रहस्यमयी गुफाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां दुर्लभ पक्षी और वन्यजीव भी देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि इस किले का निर्माण कलचुरी शासक पृथ्वीदेव ने कराया था। पुरातत्व विभाग इसकी देखरेख करता है और इसे संरक्षित घोषित किया गया है।

स्थानीय मान्यता है कि यहां एक गुप्त द्वार है, जो स्वर्गलोक और कुबेर के खजाने तक जाता है।

श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं:
दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए शरद नवरात्रि के दौरान आसपास के नौ गांव निशुल्क भंडारे और भोग का आयोजन करते हैं, ताकि श्रद्धालु अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन शांति और सहजता से कर सकें।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Comment

October 2025
S M T W T F S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  

Leave a Comment