ढाका प्रेस क्लब में विवादित टिप्पणी, भारत में कूटनीतिक प्रतिक्रिया की तैयारी
नई दिल्ली/ढाका: बांग्लादेश के पूर्व ब्रिगेडियर जनरल अब्दुल्लाहिल अमान आजमी के भारत-विरोधी बयान ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। ढाका के नेशनल प्रेस क्लब में दिए गए उनके बयान— “जब तक भारत के टुकड़े नहीं हो जाते, तब तक बांग्लादेश में शांति नहीं आएगी” —ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक हलकों में चिंता बढ़ा दी है।
आजमी, जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख और युद्ध अपराधी गुलाम आजम के बेटे हैं। उनके बयानों को कट्टरपंथी सोच और राजनीतिक अस्थिरता से जोड़कर देखा जा रहा है।
कौन हैं अब्दुल्लाहिल अमान आजमी?
-
1958 में जन्मे, पाकिस्तानी दौर में पले-बढ़े।
-
पिता गुलाम आजम पर 1971 के दौरान नरसंहार में भूमिका का आरोप, 2013 में उम्रकैद।
-
बांग्लादेश आर्मी में ब्रिगेडियर जनरल पद तक पहुंचे।
-
2009 में शेख हसीना सरकार ने भारत-विरोधी पोस्ट और विवादों के चलते बर्खास्त किया।
-
2016 में रहस्यमयी परिस्थितियों में गायब, 2024 में हसीना के पतन के बाद रिहाई।
-
सोशल मीडिया पर लंबे समय से भारत पर आक्रामक टिप्पणी करते रहे हैं।
विवादित बयान का संदर्भ
आजमी ने अपने भाषण में आरोप लगाया कि 1975–1996 के चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (CHT) संघर्ष में भारत ने कथित तौर पर अलगाववादी संगठनों को समर्थन दिया, जिससे बांग्लादेश में अस्थिरता बढ़ी।
उन्होंने कहा कि “बांग्लादेश की समस्याओं की जड़ भारत है।”
विशेषज्ञों का कहना है कि:
-
यह बयान तथ्यात्मक आधार से रहित है,
-
और बांग्लादेश के भीतर राजनीतिक ध्रुवीकरण तथा कट्टरपंथी उभार का परिणाम है।
बांग्लादेश की राजनीति में बदलाव और कट्टरपंथियों का उभार
अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश में कट्टरपंथी समूहों और जमात से जुड़े तत्वों की सक्रियता बढ़ी है।
-
अंतरिम सरकार के दौरान कई जगह भारत-विरोधी प्रदर्शन हुए।
-
अल्पसंख्यकों पर हमले और धार्मिक उन्माद से हालात संवेदनशील हैं।
आजमी का बयान इसी माहौल से जोड़कर देखा जा रहा है।
भारत की संभावित प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन MEA सूत्रों के अनुसार:
-
ढाका से औपचारिक स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है।
-
ऐसे बयानों को बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
-
भारत दोनों देशों के संबंधों को “तथ्य और कूटनीति, न कि उकसावे” के आधार पर आगे बढ़ाना चाहता है।
रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि:
-
सीमा सुरक्षा को और मजबूत किया जाएगा।
-
व्यापार और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से स्थिति पर नज़र रखी जाएगी।
-
भारत बांग्लादेश की स्थिरता को अपने हित में मानता है और कठोर कदम अंतिम विकल्प होंगे।
ढाका में बयान की आलोचना भी
बांग्लादेश के कई पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और राजनीतिक विश्लेषकों ने आजमी की टिप्पणी को गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ बताया है।
जमात-ए-इस्लामी ने भी कहा कि “आजमी के बयान पार्टी लाइन नहीं दर्शाते।”
भारत–बांग्लादेश संबंधों पर प्रभाव?
विशेषज्ञों के अनुसार:
-
यह बयान दोनों देशों के लोगों के बीच व्यापक संबंधों को प्रभावित नहीं करेगा।
-
सुरक्षा और कूटनीतिक स्तर पर निगरानी अवश्य बढ़ सकती है।
-
बयान को बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता का परिणाम माना जा रहा है।
Author: Deepak Mittal









