मेनोपॉज के हॉट-कोल्ड फ्लैश से राहत दिला सकता है हिप्नोटिज्म: नई स्टडी में चौंकाने वाला दावा

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जेएएमए में प्रकाशित शोध के अनुसार, छह हफ्तों में 53% तक कम हुए हॉट फ्लैश के लक्षण

दिल्ली। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में होने वाले हॉट फ्लैश और ठंडे पसीने की समस्या आम है। यह वह स्थिति होती है जब शरीर में अचानक गर्मी का अहसास होता है, चेहरा और गर्दन लाल पड़ जाते हैं, पसीना आता है और फिर कुछ ही देर में ठंडक महसूस होती है। इसका मुख्य कारण एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी को माना जाता है। यह स्थिति कुछ महीनों से लेकर कई वर्षों तक बनी रह सकती है और अक्सर नींद व रोजमर्रा की दिनचर्या को प्रभावित करती है।

अब एक नई स्टडी ने इस असुविधाजनक लक्षण से राहत के लिए एक अनोखी और बिना दवा वाली तकनीक का सुझाव दिया है — हिप्नोटिज्म (Hypnotism)

जेएएमए (JAMA) में प्रकाशित इस अध्ययन में 250 पोस्टमेनोपॉजल महिलाओं को शामिल किया गया। इनमें से आधी महिलाओं ने स्वयं को हिप्नोटाइज (self-hypnosis) किया, जबकि बाकी ने फेक हिप्नोटिज्म अपनाया। छह हफ्तों के बाद, अध्ययन में पाया गया कि स्व-सम्मोहन करने वाली महिलाओं में हॉट फ्लैश की घटनाएं लगभग 53% तक कम हो गईं।

विशेषज्ञों का कहना है कि जहां अधिकांश महिलाएं इस समस्या के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) या दवाओं का सहारा लेती हैं, वहीं हिप्नोटिज्म जैसे गैर-हार्मोनल विकल्प उन महिलाओं के लिए ज्यादा सुरक्षित हो सकते हैं जिन्हें हार्मोनल उपचार से दिक्कत होती है — खासकर स्तन कैंसर से जूझ चुकी महिलाओं के लिए।

हार्मोनल थेरेपी से कैंसर, स्ट्रोक, हृदय रोग और ब्लड क्लॉट्स जैसे जोखिम बढ़ सकते हैं। जबकि हिप्नोटिज्म एक मानसिक एकाग्रता और विश्राम तकनीक है, जो शरीर की संवेदनाओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।

हालांकि, विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि स्वयं से किए गए हिप्नोटिज्म का असर सीमित होता है। यदि यह किसी प्रशिक्षित हिप्नोथैरेपिस्ट की निगरानी में किया जाए, तो परिणाम ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित होते हैं।

2023 में मेनोपॉज सोसाइटी ने भी हॉट फ्लैश और नाइट स्वेट्स जैसे लक्षणों के इलाज में क्लिनिकल हिप्नोटिज्म को संभावित विकल्प के रूप में शामिल किया था।

निष्कर्ष:
मेनोपॉज के दौरान हॉट-कोल्ड फ्लैश से परेशान महिलाओं के लिए हिप्नोटिज्म एक नया और सुरक्षित विकल्प बनकर उभर रहा है। हालांकि यह सभी के लिए समान रूप से प्रभावी नहीं है, लेकिन अध्ययन से संकेत मिलते हैं कि मानसिक तकनीकों के माध्यम से शरीर की प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करना संभव हो सकता है, जिससे मेनोपॉज का यह कठिन दौर थोड़ा आसान बनाया जा सके।

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Author: Deepak Mittal

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