निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111
मुंगेली। विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर ग्राम पदमपुर में विशेष जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में हो रही मृत्यु दर को रोकना था। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ग्रामीणों को निमोनिया के कारणों, लक्षणों और बचाव के उपायों की विस्तृत जानकारी दी।
टीम ने घर-घर जाकर बच्चों की स्वास्थ्य जांच भी की तथा परिजनों को हाथ धोने, साफ-सुथरे कपड़े पहनाने, संक्रमित छींक-खांसी से दूरी बनाने और छह माह तक केवल मां का दूध पिलाने की सलाह दी।डॉ. मनीष बंजारा ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों का गंभीर संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से होता है। यह एक या दोनों फेफड़ों को प्रभावित कर सांस लेने में कठिनाई और ऑक्सीजन की कमी पैदा करता है।
मुख्य रूप से बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इससे प्रभावित होते हैं। विश्व स्तर पर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत का प्रमुख कारण निमोनिया ही है। उन्होंने अपील की कि बचाव के लिए पेंटावैलेंट, न्यूमोकोकल और फ्लू वैक्सीन का टीकाकरण अनिवार्य रूप से करवाएं।
माता-पिता को बच्चे के जन्म के छह माह तक केवल मां का दूध देना चाहिए, जो प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाता है।डॉ. बंजारा ने धूम्रपान से बचने, हाथों को साबुन से नियमित धोने, खांसते-छींकते समय मुंह-नाक ढंकने और इस्तेमाल किए टिश्यू को तुरंत फेंकने की सलाह दी। उन्होंने जोर दिया कि स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और व्यायाम से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
विश्व निमोनिया दिवस का महत्व
हर वर्ष 12 नवंबर को मनाए जाने वाले इस दिवस का उद्देश्य निमोनिया जैसी रोकी जा सकने वाली बीमारियों से होने वाली मौतों को रोकना और जागरूकता फैलाना है। 2025 की थीम ‘हर सांस की कीमत – बाल जीवन की रक्षा’ है, जो संदेश देती है कि हर बच्चे को सांस लेने का अधिकार है और निमोनिया से कोई सांस न खोए।
निमोनिया क्या है और इसके बचाव के उपाय
निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है, जिसमें वायु थैलियां सूज जाती हैं और मवाद भर जाता है, जिससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। यह बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, ठंडी हवा, धूल-धुआं, प्रदूषण, संक्रमित संपर्क, कुपोषण या कमजोर इम्यूनिटी से फैलता है।
बचाव के प्रमुख उपाय:
🔹टीकाकरण: पेंटावैलेंट, न्यूमोकोकल और फ्लू वैक्सीन से सुरक्षा।
🔹स्तनपान: छह माह तक केवल मां का दूध।
🔹स्वच्छता: हाथ धोना और खांसते-छींकते समय मुंह ढंकना।
🔹धुआं-मुक्त वातावरण: घर में धुएं से बच्चों को बचाएं।
🔹स्वस्थ आदतें: संतुलित आहार, समय पर इलाज और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना।
कार्यक्रम के अंत में स्वास्थ्यकर्मियों ने सामूहिक संकल्प लिया- ‘हर सांस अनमोल है, हर बच्चा सुरक्षित रहे, यही हमारा संकल्प है।’ इस अवसर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता ललिता साहू, किशोर उईके, मितानीन सविता साहू, सीता यादव और ग्रामवासी उपस्थित रहे।
Author: Deepak Mittal









