दल्लीराजहरा : भाई-बहन के रिश्ते की पवित्र डोर और अटूट विश्वास का पर्व रक्षाबंधन आज दल्लीराजहरा में उल्लास और भावनाओं के चरम पर मनाया गया। सुबह की पहली किरण के साथ ही शहर में उत्सव का रंग चढ़ने लगा था, गली-मोहल्लों में बहनों के हाथों में सजी रंग-बिरंगी थालियां, माखन जैसे नरम तिलक, चमचमाती राखियां और मीठी मुस्कानें इस पर्व की पावनता बयां कर रही थीं।
दल्लीराजहरा की मिठाई की दुकानों से उठती खुशबू, राखी के स्टॉलों पर उमड़ी भीड़ और घरों से आती पकवानों की महक… हर ओर आज रिश्तों का एक अदृश्य जश्न चल रहा था। बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांध रही थीं और भाई अपनी बहनों को उपहार व जीवनभर रक्षा का वचन दे रहे थे। यह दृश्य मानो प्रेम और जिम्मेदारी का जीवंत चित्र था।

दल्लीराजहरा की कई बहनों ने दूर रह रहे भाइयों को डाक और कुरियर से राखी भेजी, तो कई ने मोबाइल स्क्रीन पर आंसू और मुस्कान के साथ राखी बांधकर दूरियों को भी मात दे दी। शहर के कई विद्यालयों, सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवी समूहों ने पुलिसकर्मियों, स्वास्थ्यकर्मियों और सैनिक परिवारों के सदस्यों को राखी बांधकर उनके योगदान को सलाम किया।
दल्लीराजहरा शहर के एक बुजुर्ग ने भावुक होकर कहा “राखी सिर्फ एक धागा नहीं, यह बचपन की यादें, साझा हंसी और वह वादा है कि चाहे समय कैसा भी हो, भाई-बहन हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे।”
आज दल्लीराजहरा ने एक बार फिर साबित किया कि यह त्योहार सिर्फ कलाई पर धागा बांधने का नहीं, बल्कि रिश्तों में विश्वास, सम्मान और प्रेम की गहराई को जीने का नाम है।

दल्लीराजहरा में रक्षाबंधन का पर्व हर्षोल्लास के साथ, भाई-बहन के रिश्ते में बंधा शहर,
भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व आज दल्लीराजहरा शहर में पूरे हर्षोल्लास और भावनाओं के साथ मनाया गया। सुबह से ही बाजारों में रंग-बिरंगी राखियों की दुकानों पर भीड़ उमड़ पड़ी। मिठाइयों की दुकानों से लेकर फूल-मालाओं के ठेलों तक हर जगह त्यौहार की रौनक
बिखरी रही।

रक्षा सूत्र बांधने के लिए बहनें अपने भाइयों के घर पहुंचीं, माथे पर तिलक लगाकर राखी बांधी और उनके लंबी उम्र, खुशहाली और सुरक्षा की कामना की। बदले में भाइयों ने बहनों को उपहार और मिठाई देकर जीवन भर रक्षा का वचन निभाने का संकल्प लिया।

Author: Deepak Mittal
