दल्लीराजहरा में प्रशासनिक नाकामी से फिर टूटी जिंदगियां: आवारा पशुओं की लड़ाई में दो युवक कुचले, एक की हालत नाज़ुक

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दल्लीराजहरा: नगरपालिका, स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन की घोर लापरवाही ने एक बार फिर दल्लीराजहरा की सड़कों को खून से लाल कर दिया। अनुविभागीय दंडाधिकारी कार्यालय के सामने मुख्य सड़क इंटक ऑफिस के पास आवारा पशुओं की भिड़ंत में दो नवयुवक बुरी तरह घायल हो गए। इनमें से एक की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। दोनों घायल युवक सुरडोगर निवासी हैं और फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं।

जहां एक तरफ आवारा पशुओं का आतंक पूरे शहर में सिर चढ़कर बोल रहा है, वहीं दूसरी तरफ प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। 31 जुलाई को बालोद कलेक्टर और दल्लीराजहरा एसडीएम द्वारा जारी आदेश और प्रेस विज्ञप्ति को तीन दिन भी नहीं बीते थे, कि आदेश की धज्जियाँ उड़ाते हुए फिर एक भयावह हादसा हो गया।

कागज़ पर आदेश, ज़मीन पर मौतें
31 जुलाई को जारी किए गए आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि अगर कोई पशु मालिक अपने मवेशियों को खुले में छोड़ता है, तो उस पर पशु क्रूरता अधिनियम 1960 और भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन हकीकत यह है कि इस आदेश का पालन ना नगर पालिका करवा रही है, ना ही कोई जिम्मेदार अधिकारी इसे लागू कराने के मूड में दिख रहा है।

दल्लीराजहरा में आए दिन आवारा पशुओं के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाएं आम बात हो गई हैं। लोग सड़क पर चलने से डरने लगे हैं, लेकिन प्रशासनिक तंत्र अब भी गहरी नींद में है।

सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति, ज़मीनी सख़्ती नदारद
प्रशासन द्वारा घोषित “दंडात्मक कार्रवाई” अब केवल एक मजाक बनकर रह गई है। स्थानीय प्रशासन ने ना कोई जांच टीम बनाई, ना ही कोई पशु मालिक चिन्हित किया गया, ना ही सार्वजनिक स्थलों से आवारा पशुओं को हटाने की कोई मुहिम चलाई गई।
पशु मालिक अपने घरों में चैन की नींद सोते रहे और उनके मवेशी शहर की सड़कों पर मौत बांटते रहे। हादसे के बाद अब तक न तो किसी पशु मालिक पर केस दर्ज हुआ और न ही किसी जिम्मेदार अधिकारी को जवाबदेह ठहराया गया।

लोगों में उबाल, लेकिन सुनवाई नहीं
दल्लीराजहरा के स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश है। बार-बार चेतावनी देने के बावजूद भी जिम्मेदार तंत्र द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। लोगों का कहना है कि यह दुर्घटना प्रशासन की सोची-समझी अनदेखी और नगर पालिका की निष्क्रियता का नतीजा है।

कहां है ‘जन सुरक्षा’?
जिस आदेश में लोक शांति, आपातकालीन सेवाओं की निर्बाधता और कानून व्यवस्था की बात कही गई थी, वही आदेश दल्लीराजहरा की सड़कों पर मूक तमाशबीन बना खड़ा है। नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन दोनों की चुप्पी इस बात का संकेत है कि आमजन की जान की कीमत अब सरकारी कागज़ों से ज्यादा नहीं रह गई है।

क्या कहते हैं अधिकारी जनप्रतिनिधि,,,
इस संबंध में नगर पालिका अध्यक्ष तोरण साहू कहते हैं की आवारा मवेशियों के पशुपालकों के खिलाफ में शासन के आदेश अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी ,,आम जनों से भी अपील किया जा रहा है कि पशु पशुओं को बाहर ना छोड़े कांजी हाउस में रखें या घर पर रखें.

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Author: Deepak Mittal

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