जशपुर/रायपुर। छत्तीसगढ़ की महिला सशक्तिकरण और स्थानीय संसाधनों के दोहन की मिसाल बन चुका ‘जशप्योर’ ब्रांड अब राज्य की सीमाओं को लांघकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान बनाने को तैयार है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य सरकार ने ‘जशप्योर’ ब्रांड का ट्रेडमार्क उद्योग विभाग को सौंपने का निर्णय लिया है।
यह कदम न केवल जशपुर जिले की आदिवासी महिलाओं द्वारा संचालित इस ब्रांड को संस्थागत मजबूती देगा, बल्कि इसे ‘लोकल से ग्लोबल’ बनाने की दिशा में भी निर्णायक साबित होगा।
‘जशप्योर’ — परंपरा और उद्यमिता का संगम
‘जशप्योर’ एक महिला-केंद्रित ब्रांड है, जिसमें 90% से अधिक कार्यबल आदिवासी महिलाएं हैं। यह ब्रांड वनोपज और पारंपरिक कृषि उत्पादों जैसे महुआ, कोदो, कुटकी, रागी आदि का प्रसंस्करण कर स्वास्थ्यवर्धक और प्राकृतिक खाद्य उत्पादों में बदलता है। इन उत्पादों में कोई कृत्रिम रंग, स्वाद या प्रिजर्वेटिव नहीं मिलाए जाते हैं।
प्रमुख उत्पादों में –
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महुआ नेक्टर
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रागी महुआ लड्डू
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महुआ कुकीज़
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मिलेट पास्ता
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ढेकी कूटा चावल
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महुआ कोकोआ ड्रिंक शामिल हैं।
रेयर प्लेनेट से समझौता, एयरपोर्ट स्टोर्स तक पहुंचेगा जशप्योर
जशप्योर की पहुँच अब देश के प्रमुख एयरपोर्ट स्टोर्स तक होगी। रेयर प्लेनेट के साथ हुए समझौते के तहत पहले चरण में पांच एयरपोर्ट्स पर जशप्योर उत्पादों की बिक्री शुरू की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस एमओयू पर ऑनलाइन हस्ताक्षर किए, जो राज्य सरकार की स्थानीय उत्पादों को वैश्विक मंच पर लाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में मिली अंतरराष्ट्रीय सराहना
20 सितंबर 2024 को प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में जशप्योर का स्टॉल केंद्र बिंदु बना रहा। स्वास्थ्य जागरूक उपभोक्ताओं और उद्यमियों ने इसके उत्पादों को पोषणयुक्त, सुरक्षित और पूर्णतः प्राकृतिक बताकर सराहा।
ट्रेडमार्क हस्तांतरण: क्या होगा असर?
उद्योग विभाग को ट्रेडमार्क सौंपने से जशप्योर को मिलेगा—
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राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग का लाभ
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उन्नत मशीनरी से उत्पादन में वृद्धि
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प्रभावी मार्केटिंग नेटवर्क
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कच्चे माल की माँग में बढ़ोतरी
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अधिक रोजगार के अवसर
जशप्योर: ‘फॉरेस्ट गोल्ड’ की नई परिभाषा
जशपुर के युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन के मुताबिक, “अब महुआ को केवल शराब से नहीं जोड़ा जाएगा, बल्कि इसे फॉरेस्ट गोल्ड या ग्रीन गोल्ड के रूप में वैश्विक पहचान दिलाई जाएगी।” जशप्योर का मॉडल इस बात का प्रमाण है कि पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक बाजार रणनीति मिलकर स्थानीय समुदायों के लिए बड़े अवसर पैदा कर सकते हैं।
