बिलासपुर कोरबा भूमि घोटाला: 152 काल्पनिक मकानों को मुआवजा देने का मामला उजागर, एसईसीएल को निरस्तीकरण का आदेश

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जे के मिश्र
जिला ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स24*7in बिलासपुर

बिलासपुर कोरबा। दीपका विस्तार परियोजना के लिए किए गए भूमि अर्जन में एक बड़ा और चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है। ग्राम मलगांव में भूमि अधिग्रहण के दौरान 152 ऐसे मकानों को मुआवजा दे दिया गया, जो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं थे। अब इस घोटाले की पुष्टि के बाद प्रशासन ने इन मुआवजों को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

कटघोरा एसडीएम रोहित सिंह द्वारा एसईसीएल के महाप्रबंधक को भेजे गए पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि इन काल्पनिक मकानों को दिए गए मुआवजे को तत्काल निरस्त किया जाए। इस घोटाले में एसईसीएल की लापरवाही और संभावित मिलीभगत उजागर हुई है।

गूगल अर्थ से हुआ खुलासा

जांच के दौरान गूगल अर्थ की सैटेलाइट इमेज के माध्यम से पाया गया कि जिन 78 मकानों का उल्लेख एसईसीएल की ओर से भूमि अर्जन सूची में किया गया था, वे मौके पर कभी थे ही नहीं। इसके बाद विस्थापन कार्यवाही के दौरान राजस्व अमले की पड़ताल में और 74 मकान ऐसे मिले जिनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं मिला।

कलेक्टर के निर्देश पर सख्त कार्रवाई

कोरबा कलेक्टर के निर्देश पर मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम द्वारा एसईसीएल को पत्र भेजा गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से सभी 152 फर्जी मकानों के मुआवजा निरस्तीकरण की बात कही गई है। इस कार्रवाई से भविष्य में होने वाली सरकारी क्षति को रोका जा सकेगा।

लापरवाही या मिलीभगत?

इस प्रकरण ने एसईसीएल के भूमि अर्जन कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। कहीं न कहीं प्रशासनिक स्तर पर भी गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। अगर समय रहते गूगल अर्थ की सहायता से सत्यापन नहीं किया जाता, तो करोड़ों का सरकारी नुकसान तय था।

अब तक की सबसे बड़ी विस्थापन धांधली में से एक

भूमि अधिग्रहण में इस तरह का घोटाला कोरबा क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी विस्थापन संबंधी धांधलियों में गिना जा रहा है। इससे न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान हुआ, बल्कि असली पात्रों को मिलने वाली राहत भी प्रभावित हुई है।

अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या प्रशासन केवल मुआवजा निरस्त करके रुक जाएगा या इस पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों और लाभार्थियों पर आपराधिक कार्रवाई भी की जाएगी। जनता इस मामले में पारदर्शिता और सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है।

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Author: Deepak Mittal

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