भक्ति और निष्ठा से ही मिलते हैं भगवान-नागर

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सिद्धेश्वर महापुराण कथा का छठवां दिवस,शामिल हुए विधायक कौशिक लिया आशीर्वाद

निर्मल अग्रवाल ब्यूरो 8959931111

बिल्हा- आज के समय में हम अपने घर के भोजन को छोड़कर घर के बाहर का ग्रहण करने लगे हैं, कलयुग के आरंभिक समय में हमें अभी यह कथा सुनने मिल रही है, कलयुग के मध्य और अंत में तो कथा हमें सुनने को ही नहीं मिलेगी, अभी ही कलयुग के प्रभाव से बहुत ही गलत कार्य और व्यवहार किये जा रहे हैं।
सिद्धेश्वर महापुराण की कथा के छठवें दिन की कथा में संत श्री ललित नागर जी ने बताया कि भक्ति और निष्ठा से ही भगवान को पाया जा सकता है।


जब भगवान शंकर कैलाश पर्वत से गंगा नदी के तट पर आंख बंद कर ध्यान लगाए,तब आठ महीने बाद शरीर से पसीने की पांच धार बहकर गंगा नदी में मिल गई। जिन्हें गंगा अपने में समाहित कर लेती है, वे पांच धाराएं भगवान शिव की पांच बेटियां जया, सामली वारी,देव, विशहर , दोतलि होती है। साल भर होने पर भी जब शंकर भगवान वापस कैलाश पर्वत नहीं पहुंचे तब पार्वती ने गणेश भगवान को देखने के लिए भेजा। गणेश ने जब गंगा तट पर भगवान शंकर को पांच कन्याओं के साथ देखा तब जाकर माता पार्वती को लेकर आए,माता पार्वती देखकर क्रोध में आ गई तब भगवान शंकर ने कहा यह पांच कन्या कोई और नहीं बल्कि हमारी पुत्रियां है।


एक बार भगवान गणेश और कार्तिक में झगड़ा हुआ कि कौन बड़ा है, भगवान ने उन्हें कहा कि ब्रह्मांड का जो चक्कर सबसे पहले लगाकर आएगा वह सबसे बड़ा कहलाएगा। कार्तिकेय मोर पर बैठकर ब्रह्मांड की चक्कर लगाने चले गए पर गणेश ने अपने माता-पिता के ही सात चक्कर लगाए। राजा विश्वरूप के पुत्रियों के साथ गणेश का विवाह तय किया गया। श्री, तुष्टि, पुष्टि, रिद्धि और सिद्धि गणेश की पांच पत्नियां हुईं।

बिल्हा के विधायक श्री धरमलाल कौशिक भी उपस्थित होकर आशीर्वाद प्राप्त किये रहे, उन्होंने कहा कि पिछले जन्म के पूर्व कर्म और भगवान के प्रसाद रूप में ही हमें कथा करने कराने का सौभाग्य प्राप्त होता है कथा में बिन बुलाए भी जाना चाहिए और सुननी चाहिए।


कथा में विधायक धरमलाल कौशिक भूपेंद्र सवन्नी, सतीश शर्मा, वंदना जेंडे, कृति अग्रवाल, मीना मित्तल, कंचन शर्मा, शोभा शर्मा, संजय कौशिक, विष्णु साहू उपस्थित रहे।
सातवे दिन की कथा में पूर्णाहुति के साथ भंडारा किया जाएगा।

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