प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” आंदोलन के 10 साल पूरे होने के अवसर पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक जन-संचालित पहल बन गई है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, “आज हम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ आंदोलन के 10 साल पूरे कर रहे हैं। पिछले एक दशक में यह एक परिवर्तनकारी, लोगों द्वारा संचालित पहल बन गई है और इसमें जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी रही है।”
पीएम मोदी ने कहा कि आंदोलन ने लैंगिक बाधाओं और पूर्वाग्रहों पर काबू पाने पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे यह सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है कि लड़कियों की शिक्षा और अवसरों तक पहुंच हो। उन्होंने कहा, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ने लैंगिक भेदभाव पर काबू पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और साथ ही इसने यह सुनिश्चित किया कि ऐसा माहौल बने कि लड़कियों को शिक्षा और अपने सपनों को हासिल करने के अवसर मिले।”
पीएम मोदी ने इस अवसर पर लोगों द्वारा इस पहल के लिए किए गए प्रयासों के लिए आभार भी व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि ‘लोगों और विभिन्न सामुदायिक सेवा संगठनों के समर्पित प्रयासों के लिए धन्यवाद, #BetiBachaoBetiPadhao ने उल्लेखनीय मील के पत्थर हासिल किए हैं। ऐतिहासिक रूप से कम बाल लिंग अनुपात वाले जिलों में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किए गए हैं और जागरूकता अभियानों ने लैंगिक समानता के महत्व की गहरी समझ पैदा की है।”
पीएम मोदी ने देश में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा, उनकी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस आंदोलन को जारी रखने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक ऐसे समाज का निर्माण करना महत्वपूर्ण है जहां बेटियां बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ सकें। “मैं उन सभी को बधाई देता हूं जिन्होंने इस आंदोलन को जमीनी स्तर पर जीवंत बनाया है। आइए हम अपनी बेटियों के अधिकारों की रक्षा करना जारी रखें, उनकी शिक्षा सुनिश्चित करें और एक ऐसा समाज बनाएं जहां वे बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ सकें। साथ मिलकर, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आने वाले समय में ये साल भारत की बेटियों के लिए और भी अधिक प्रगति और अवसर लेकर आए हैं।”
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में शुरू की गई बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना के कार्यान्वयन का एक दशक पूरा हो गया है। भारत सरकार की इस प्रमुख पहल का उद्देश्य गिरते बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) को संबोधित करना, लिंग-पक्षपातपूर्ण लिंग-चयनात्मक उन्मूलन को रोकना और बालिकाओं के अस्तित्व, सुरक्षा और शिक्षा को बढ़ावा देना है। यह योजना भारत सरकार की सबसे प्रभावशाली सामाजिक पहलों में से एक बन गई है।
