छत्तीसगढ़ के आखिरी छोड़ पर स्थित है गरियाबंद जिला. ओडिशा बॉर्डर पर स्थित यह जिला साल 2025 के नक्सलियों के खिलाफ हुए बड़े ऑपरेशन की वजह से सुर्खियों में है. सुरक्षाबलों के इस ऑपरेशन में 1 करोड़ के इनामी नक्सली जयराम रेड्डी उर्फ चलपति समेत 20 कमांडर मारे गए हैं.
अभी भी नक्सलियों के 40 कमांडर सुरक्षाबलों के घेरे में है.
कितना बड़ा है सुरक्षाबलों का यह ऑपरेशन?
नक्सलियों के खिलाफ हो रहे इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ, डीआरजी, ओडिशा पुलिस और छत्तीसगढ़ की ई-30 फोर्स समेत 5 अलग-अलग सुरक्षाबलों की 10 टीमें शामिल हैं. ऑपरेशन के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
सुरक्षा बल की टीम पहले ड्रोन के जरिए जंगल की मॉनिटरिंग कर रही है और फिर रडार में आए नक्सलियों को एक-एक कर मार गिरा रही है. ऑपरेशन की मॉनिटरिंग के लिए भी एसपी और डीआईजी स्तर के अधिकारी लगाए गए हैं.
अब तक मारे गए अधिकांश माओवादी सेंट्रल कमेटी के सदस्य थे. सेंट्रल कमेटी पूरे भारत के नक्सल मूवमेंट को लीड करती है. यही वजह है कि सुरक्षाबलों के इस ऑपरेशन को इस साल का सबसे बड़ा ऑपरेशन कहा जा रहा है.
तड़के एनकाउंटर, बुरी तरह घिरे नक्सली
खुफिया जानकारी मिलने के बाद ओडिशा पुलिस, छत्तीसगढ़ पुलिस, कोबरा बटालियन के साथ डीआरजी की 10 टीमें एक साथ सक्रिय हुई. रविवार (19 जनवरी) तड़के यह एनकाउंटर शुरू हुआ था. धीरे-धीरे सुरक्षाबलों ने गरियाबंद के पूरे जंगल की घेराबंदी कर दी.
कहा जा रहा है कि सुरक्षाबलों की 3 टीम ने छत्तीसगढ़ तो 7 टीम ने ओडिशा की तरफ से घेराबंदी की. इसी बीच नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दिया, जिसके बाद से ही दोनों तरफ से मुठभेड़ चल रहा है.
गरियाबंद के जंगल से सोंदूर और पैरी नदी निकलती है, वहां से भागकर जैसे ही नक्सली चट्टान की तरफ गए, वैसे ही सुरक्षाबलों ने मारना शुरू कर दिया. मंगलवार (21 जनवरी) की दोपहर तक सुरक्षाबल और नक्सलियों के बीच की घेराबंदी तो 3 किलोमीटर तक सिमट गई.
नक्सलियों के अबूझमार की तरफ से आने की आशंका जताई गई है. तेलंगाना बॉर्डर पर स्थित छत्तीसगढ़ अबूझमार इलाके में हाल ही में सुरक्षाबलों ने बड़ा ऑपरेशन शुरू किया है.
इस ऑपरेशन में 2 चीज पहली बार
1. छत्तीसगढ़ और गरियाबंद के इलाके में आमतौर पर नक्सलियों की राज्य टीम मूवमेंट करती रही है. एनकाउंटर में भी स्टेट टीम के सदस्य ही मारे जाते रहे हैं, लेकिन पहली बार सुरक्षाबलों की रडार में सेंट्रल टीम के सदस्य आ गए हैं. मुठभेड़ में अब तक मारे गए अधिकांश सदस्य सेंट्रल कमेटी के ही सदस्य हैं.
2. मुठभेड़ पहले भी होता रहा है लेकिन पहली बार सुरक्षाबलों ने ड्रोन का इस्तेमाल किया है. नक्सलियों को मारने के लिए गरियाबंद के जंगल में 3-4 ड्रोन तैनात किए गए हैं. ड्रोन के सहारे ही पुलिस यहां शूटआउट कर रही है.
AK-47 भी नहीं आया काम, सिर्फ 1 जवान घायल
माओवादी सेंट्रल कमेटी के सदस्य आमतौर पर अपने साथ एके-47 लेकर चलते हैं. मुठभेड़ को लेकर जो अब तक तस्वीर सामने आई है उसमें नक्सलियों के पास एके-47 देखा भी जा रहा है. वहीं चलपति के पास तो सुरक्षा के भी 10 कमांडर चलते थे.
हालांकि, ये हथियार इस बार नक्सलियों के काम नहीं आए. इसकी वजह पुष्ट खुफिया सूचना है. कहा जा रहा है कि सुरक्षाबलों ने पूरी बिसात बिछाकर नक्सलियों पर हमला किया. पूरे ऑपरेशन में अब तक सुरक्षाबल के सिर्फ एक जवान घायल हुए हैं.

Author: Deepak Mittal
