सनातन धर्म की आस्था का सबसे बड़ा पर्व महाकुंभ प्रयागराज में चल रहा है। इस महाकुंभ मेले में 45 करोड़ लोगों के शामिल होने का अनुमान है। इस महाकुंभ में देश के कोने कोने से साधु सन्त और सन्यासी भी आए हैं।
सोशल मीडिया के इस जमाने में महाकुंभ के कई वीडियोज वायरल हो रहे हैं। महाकुंभ से कई साधुओं के वीडियोज भी वायरल हो रहे हैं। इस दौरान महाकुंभ में सबसे ज्यादा चर्चा में आए IIT बाबा अभय सिंह। बाबा अभय के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे है। लेकिन IIT बाबा अचानक महाकुंभ से लापता हो गए हैं। वे रातोंरात संगम नगरी छोड़कर कहीं चले गए हैं।
क्या भ्रमण पर निकले?
आईआईटी बाबा कहां गए, इसके बारे में उनके गुरु ने कुछ जानकारी दी है। माना जा रहा है कि वे भ्रमण पर निकल गए हैं। साथ के संतों का कहना है कि लोग उन्हें परेशान कर रहे थे, इसलिए उनका उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा था। इसलिए वे संगमनगरी छोड़कर चले गए। बता दें कि आईआईटी बाबा जूना अखाड़े में के मड़ी आश्रम शिवर में रह रहे थे।
मीडिया अटेंशन की वजह से हो गए थे परेशान!
वीडियो वायरल होने के बाद मीडिया और आईआईटी बाबा से मिलने वाले लोगों का जमावड़ा लगा रहता था। उनके साथ के संतों का कहना है कि मीडिया अटेंशन मिलने की वजह से वे काफी परेशान हो गए थे। इसलिए मुख्य गुरु ने उन्हें यह स्थान छोड़कर भ्रमण पर निकल जाने को कहा। तब से वे लापता हैं।
हो रहे थे ज्यादा वायरल:
एक संत ने कहा कि गुरु ने उन्हें एक संदेश भेजा और कहा कि आप ज्यादा वायरल हो रहे हैं। इससे आपका ध्यान भटक रहा है, इसलिए आप भ्रमण पर चले जाइए। आश्रम के साधुओं ने बताया- अभय लगातार मीडिया को इंटरव्यू दे रहे थे, जिससे उनका मानसिक तनाव बढ़ रहा था। उन्होंने मीडिया में कुछ ऐसी बातें भी कहीं, जो विवाद का कारण बन गईं। इसके चलते ही उन्होंने आश्रम को छोड़ने का फैसला लिया। साथ के संतों ने कहा कि जब उनकी बुद्धि ने काम करना बंद कर दिया, तो उन्होंने लोगों को गुरु मानना भी बंद कर दिया था।
माता-पिता भी आए थे मिलने:
वहीं, अभय बाबा के माता-पिता भी उनके मिलने के लिए जूना अखाड़ा के आश्रम पहुंचे थे लेकिन उससे पहले वो निकल चुके थे और उनकी मुलाकात अपने बेटे से नहीं हो पाई। आखिर में हारकर रोते हुए वो भी चले गए। एक साधु ने कहा, ‘अभय सिंह से कहा गया कि आप एक कंट्रोलर रखिए अपने साथ। आपके अंदर शक्ति तो है लेकिन उसे संभाल नहीं पा रहे हैं। वो किसी को गुरु मानने को तैयार नहीं थे।’
