कितना ताकतवर है ‘फेंगल’, इन राज्यों के लिए काल बन कर आया यह चक्रवात!

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पूर्वी भूमध्यरेखीय हिंद महासागर और दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक चक्रवाती परिसंचरण (लो प्रेशर एरिया) बन गया है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 25 नवंबर तक इसके एक डिप्रेशन (कम दबाव का क्षेत्र) में बदलने की भविष्यवाणी की थी. अब यह डिप्रेशन एक गहरे डिप्रेशन में बदल चुका है, और यह और अधिक तेज़ होकर चक्रवाती तूफान में बदल सकता है.चेन्नई स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने 26 नवंबर, 2024 को बताया कि यह सिस्टम अब एक गहरे डिप्रेशन में बदल चुका है और 27 नवंबर यानी आज यह चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है.

अलग-अलग मौसम मॉडल इस तूफान के और तेज होने का संकेत दे रहे हैं और यदि यह दबाव चक्रवात बन जाता है, तो इसे ‘फेंगल’ कहा जाएगा. यह दाना के बाद आएगा. यह 2024 के उत्तरी हिंद महासागर चक्रवात सीजन का तीसरा चक्रवाती तूफान और दूसरा गंभीर चक्रवाती तूफान था.

फेंगल का नाम किसने प्रस्तावित किया?

दरअसल ‘फेंगल’ नाम सऊदी अरब द्वारा प्रस्तावित किया गया था और यह अरबी भाषा में निहित शब्द है. यह भाषाई परंपरा और सांस्कृतिक पहचान के मिश्रण का प्रतिनिधित्व करता है, जो WMO/UNESCAP नामकरण पैनल के भीतर क्षेत्रीय विविधता को दर्शाता है. फेंगल जैसे नामों को कई भाषाओं में छोटा, विशिष्ट और गैर-आक्रामक होने के लिए चुना जाता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे प्रभावित क्षेत्रों में सार्वभौमिक रूप से गूंजते हैं.

पैनल में 13 देश शामिल

इसके अलावा उत्तरी हिंद महासागर में चक्रवातों का नाम विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के सदस्य देशों और एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) पैनल द्वारा रखा जाता है. इस पैनल में 13 देश शामिल हैं: बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और यमन. प्रत्येक सदस्य संभावित नामों की एक सूची देता है, जिसका उपयोग क्षेत्र में चक्रवातों के बनने पर क्रमिक रूप से किया जाता है. यह प्रणाली 2004 से लागू है ताकि तूफानों के बारे में आसान सार्वजनिक पहचान और कुशल संचार सुनिश्चित किया जा सके.

चक्रवातों के नामों की लिस्ट

बता दें कि चक्रवातों के नामों की वर्तमान सूची 2020 में तैयार की गई थी, जिसमें प्रत्येक सदस्य राज्य ने 13 नाम दिए थे. नामों का उपयोग बारी-बारी से किया जाता है और एक बार चक्रवात को सौंपे जाने के बाद उनका दोबारा उपयोग नहीं किया जाता है. जैसे कि फेंगल के बाद, अगले चक्रवात का नाम शाक्ती रखा जाएगा, जैसा कि श्रीलंका ने सुझाया है, जबकि थाईलैंड ने कतार में भविष्य के नाम के रूप में मोन्था का नाम दिया है.

चक्रवात फेंगल के और तेज होने की आशंका

आने वाले दिनों में बंगाल की खाड़ी में चक्रवात फेंगल के और तेज होने की आशंका है , जिससे तेज़ हवाएँ चलेंगी, भारी बारिश होगी और तटीय इलाकों में बाढ़ आने की संभावना है. क्षेत्रीय मौसम विभाग इसके प्रक्षेप पथ और प्रभाव क्षेत्रों पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं. निवासियों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक स्रोतों से मिलने वाले अपडेट के प्रति सतर्क रहें क्योंकि संभावित नुकसान को कम करने के लिए तैयारी के उपाय बहुत ज़रूरी हैं.

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Author: Deepak Mittal

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