महाकुंभ से पहले जूना अखाड़े का बड़ा फैसला, 13 साल की बच्ची को साध्वी बनाने वाले संत को किया निष्कासित

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13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ से पहले जूना अखाड़े ने बड़ा फैसला सुनाया है। कुछ दिन पहले जूना अखाड़े में शामिल हुई 13 साल की साध्वी गौरी गिरि और उसके गुरु कौशल गिरि को जूना अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है।

नाबालिग लड़की को अखाड़े में नियम तोड़कर शामिल करने का मामला सामने आने के बाद अखाड़े की आमसभा की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। नाबालिग साध्वी को तत्काल उसके माता-पिता को सौंपकर गुरु के साथ महाकुम्भ मेला से बाहर जाने के लिए कहा गया है।

बैठक में यह प्रस्ताव भी पास किया गया कि अब 22 वर्ष से कम आयु होने पर ही महिला को संन्यास दीक्षा दी जाएगी। जूना अखाड़े के संत कौशल गिरि ने पिछले दिनों आगरा के पेठा व्यापारी संदीप सिंह और उनकी पत्नी रीमा की मौजूदगी में उनकी बेटी राखी सिंह धाकरे को साध्वी बनाया था। संत कौशल गिरि ने राखी को गौरी गिरि नाम दिया था। इस दौरान गौरी गिरि का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उसका कहना है कि वो पढ़ लिखकर आईएएस बनना चाहती थी, इस बीच यहां आई और उसे अखाड़े में शामिल करा दिया गया।

वीडियो सामने आने के बाद यह मामला तूल पकड़ने लगा। मामला बढ़ने लगा तो पुलिस ने भी हस्तक्षेप किया। शुक्रवार को अखाड़ा थाने में पंचायत हुई और संतों ने कहा कि उसे अखाड़े में शामिल नहीं किया गया। इसके बाद जूना अखाड़े की मेला छावनी में पंचायत हुई। जूना अखाड़े की आम सभा की बैठक संरक्षक महंत हरि गिरि, अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि, प्रवक्ता नारायण गिरि आदि की मौजूदगी में हुई। इसमें तत्काल प्रभाव से कौशल गिरि, गौरी गिरि उर्फ राखी को जूना अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया। माता-पिता सहित गौरी और गुरु को महाकुम्भ से बाहर जाने को कहा गया है।

जूना अखाड़ा संरक्षक महंत हरि गिरि ने बताया, लड़की जब तक 22 साल की नहीं हो जाएगी, उसे अखाड़े में शामिल नहीं किया जाएगा। उसे अखाड़े के नियमों को तोड़कर शामिल किया गया। नियमानुसार ऐसे मामलों में पहले सहमति का कच्चा दस्तावेज देना होता है। छह महीने बाद पक्का सहमति का पक्का दस्तावेज लिया जाता है। जिसके आधार पर यह माना जाता है कि यह आवेश में लिया गया निर्णय नहीं है। ऐसे किए बिना अखाड़े की परंपरा को तोड़कर लड़की को शामिल किया गया था, जिस पर निष्कासित करने का निर्णय लिया गया है।

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Author: Deepak Mittal

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