गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में प्रशासन की उपेक्षा से नाराज़ ग्रामीणों ने राजापड़ाव-शोभा मार्ग पर स्थित दो जर्जर रपटों की मरम्मत का बीड़ा खुद उठा लिया है। बाघ नाला और शोभा नाला पर ग्रामीणों ने श्रमदान और चंदा इकट्ठा कर रपटों की मरम्मत शुरू कर दी है। रविवार को गरहाडीह पंचायत के 100 से अधिक युवा इस कार्य में जुटे रहे।
ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने के बाद भी जब कोई कार्य नहीं हुआ, तो उन्होंने खुद ही ढाई मीटर चौड़ी और चार मीटर लंबी कांक्रीट स्लैब की ढलाई कर मरम्मत का कार्य आरंभ कर दिया। इससे पहले गौर गांव के युवाओं ने भी इसी तरह का कार्य शनिवार को किया था।
भूख हड़ताल का भी नहीं हुआ असर, टूटा प्रशासन पर से भरोसा
जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने बताया कि पिछले सप्ताह भूख हड़ताल के माध्यम से 10 सूत्रीय मांगें प्रशासन के समक्ष रखी गई थीं। उसमें रपटा मरम्मत की मांग भी शामिल थी। एसडीएम ने मरम्मत के लिए मंजूरी का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई काम शुरू नहीं हुआ।
5 लाख का खर्च, 8 पंचायतों ने मिलकर उठाई जिम्मेदारी
अंबेडकरवादी युवा संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि मरम्मत के लिए करीब 5 लाख रुपए का मटेरियल लगा है, जिसे 8 पंचायतों के लोगों ने आपस में चंदा करके जुटाया। वाट्सएप ग्रुप बनाकर सामग्री का लेखा-जोखा रखा जा रहा है। क्षेत्र के छोटे व्यवसायी, वाहन मालिक, पंचायत प्रतिनिधि और आम ग्रामीण इस कार्य में सहयोग कर रहे हैं।
हर साल होते रहे हादसे, बच्चों और ग्रामीणों की जा चुकी है जान
पूर्व जनपद सदस्य श्रीराम मरकाम और सरपंच शंकर नेताम ने बताया कि बीते वर्षों में रपटों के क्षतिग्रस्त रहने से कई हादसे हुए हैं। वर्ष 2021 में एक दंपति बह गए थे और हर साल बारिश के दौरान स्कूली बच्चों के बहने की घटनाएं सामने आती रही हैं। अब जब स्कूल फिर से खुलने वाले हैं, ग्रामीणों ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्वप्रेरणा से मरम्मत की है।
सरकारी मंजूरी तो मिली, लेकिन काम अब तक अधर में
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के एसडीओ कमलेश चंद्राकर ने बताया कि क्षेत्र के पांचों नालों पर उच्च स्तरीय पुलों की प्रशासनिक मंजूरी मिल चुकी है। बाघ नाला (2.41 करोड़), शोभा नाला (3.33 करोड़), गरहा बाघ नाला (3.47 करोड़), अड़गड़ी नाला (2.31 करोड़) और जरहीडीह नाला (2.26 करोड़) के लिए राशि स्वीकृत की गई है। हालांकि गरहा बाघ नाला के पुल का 2021 से अब तक 9 बार टेंडर हो चुका है, लेकिन निर्माण अब भी शुरू नहीं हो सका है।
पीडब्ल्यूडी की सेतु शाखा इन कार्यों की जिम्मेदारी संभाल रही है, जबकि रपटों को संबंधित विभागों को हैंडओवर किया जा चुका है। ऐसे में विभागीय मरम्मत की कोई व्यवस्था फिलहाल नहीं है।
