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लोकतंत्र की हत्या”आपातकाल 1975″ पर विविध कार्यक्रमों का हुआ आयोजन

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संत शिरोमणि गुरु रविदास शास.महाविद्यालय सरगांव में संगोष्ठी, छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन

निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111

सरगांव-लोकतंत्र के काले अध्याय आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर सरगांव के संत शिरोमणि गुरु रविदास शास.महाविद्यालय सरगांव में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।इस अवसर पर आपातकाल पर संगोष्ठी के साथ ही छायाचित्र प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत माँ भारती के छायाचित्र पर माल्यार्पण माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर हुआ।

इसके पश्चात आपातकाल 1975 “लोकतंत्र की हत्या” विषय पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष कैलाश सिंह ठाकुर द्वारा फीता काटकर उद्घाटन किया गया।

जिसमें आपातकाल की विभीषका,आंदोलन और मीसाबंदियों के संघर्षों को चित्रों के माध्यम से जीवंत किया गया बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, युवाओं ,उपस्थित नागरिकों, पदाधिकारियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए इतिहास को समझने का प्रयास किया।


विषय पर आयोजित संगोष्ठी के कार्यक्रम में जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष कैलाश सिंह ठाकुर ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय था जो बहुत ही पीड़ादायक था आपातकाल में नागरिकों के मौलिक अधिकारों और संविधान की खुलेआम अवहेलना की गई 25 जून सदैव संवैधानिक अधिकारों की महत्ता को याद दिलाता रहेगा।

भाजपा मण्डल अध्यक्ष सरगांव पोषण यादव ने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा की संविधान और लोकतंत्र की रक्षा हेतु सदैव सजग रहे उन्हें आपातकाल के उस दौर से सीख लेते हुए लोकतंत्र की मजबूती में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए लोकतंत्र के काले अध्याय में लोकतांत्रिक संस्थाएं, देश की स्वतंत्रता ,न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचले गया था।


आज ही के दिन कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र की हत्या कर देश पर आपातकाल थोपा था। न्याय, स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति सब कुछ कुचल दिया गया। लोकतंत्र के चारों स्तंभ कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और मीडिया को कमजोर करने का काम किया।
विपक्ष के बड़े नेताओं के साथ 11 लाख से अधिक लोगों को जेल में डाल कर कई यातनाएं दी गई। तत्कालीन समय में लोकतंत्र सेनानी के परिवारों ने बहुत यातनाएं सही।


भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रणजीत सिंह हूरा ने कहा कि 1975 में हुआ आपातकाल आमानवीय व्यवहार था जिसने देश के संविधान और आत्मा को ताक पर रख दिया था आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर देश में आपातकाल लगाया गया। इस अवसर पर उपस्थित नागरिकों ने भी अपने विचार साझा किया। इस अवसर पर जुड़ावन साहू ,रामकुमार कौशिक, घनश्याम राजपूत,जमुना पांडे, पंकज वर्मा ,सविता कौशिक, असद मोहम्मद ,रघु ठाकुरज़ शबाना जमीन, तरुण अग्रवाल,दुर्गेश वर्मा,नवाब खान, बिहारी राजपूत,कमल अग्रवाल, दुर्गेश कौशिकआदि के साथ महाविद्यालय प्राचार्य,शिक्षक-शिक्षकाएं, विद्यार्थीगण,गणमान्य नागरिक,स्थानीय जनप्रतिनिधिगण एवं बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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Author: Deepak Mittal

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