भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा चुनाव 2024 के बाद ही होना था। हालांकि, एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अब तक नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ है।
रेस में कई नाम चल रहे हैं, लेकिन अब एक सरप्राइज एंट्री भी हुई है। कई नामों के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी का नाम भी रेस में है। त्रिवेदी सोशल मीडिया हो या मीडिया चैनल भाजपा का पक्ष बेहद तेज-तर्रार ढंग से रखते हैं। वह पार्टी के मुख्य प्रवक्ताओं में से एक हैं और हिंदी और अंग्रेजी दोनों में धाराप्रवाह बोलते हैं।
सुधांशु त्रिवेदी का नाम सरप्राइज एंट्री है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे कई अहम कारण हैं।
सुधांशू त्रिवेदी को बीजेपी अध्यक्ष बनाकर कई अहम समीकरण साध सकती है। वह अच्छे वक्ता होने के साथ ही संघ और पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में रहे हैं। उनकी इन 4 खूबियों ने उन्हें रेस में लाया है।
BJP President की रेस में इन गुणों ने दिलाई एंट्री
बोलने की दमदार कला: सुधांशु त्रिवेदी बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे हैं। संसद हो या मीडिया चैनल, वह बेहद सटीक और आक्रामक तरीके से पार्टी का पक्ष रखते हैं। 2014 से पहले जब पार्टी विपक्ष में थी तब भी वह सरकार पर तीखा हमला बोलते थे। हिंदी के अलावा वह अंग्रेजी में भी निपुण हैं। उनकी भाषा की धार और तथ्यात्मक जवाब देने की शैली ने उन्हें जनता और मीडिया के बीच अलग पहचान दिलाई है। वे विपक्ष के आरोपों का न सिर्फ सटीक जवाब देते हैं बल्कि अपनी तार्किक क्षमता से बहस को अपने पक्ष में मोड़ने की योग्यता रखते हैं। यही गुण उन्हें पार्टी के भीतर एक मजबूत चेहरा बनाता है।
संगठन में काम करने का अनुभव: बीजेपी के अंदर ही सुधांशु त्रिवेदी को कई पदों पर काम करने का अनुभव रहा है। राष्ट्रीय प्रवक्ता से लेकर राज्यसभा सांसद बनने तक उनकी यात्रा बताती है कि वे पार्टी की विचारधारा और संगठनात्मक ढांचे से पूरी तरह परिचित हैं। वह छात्र जीवन से ही एबीवीपी और आरएसएस से जुड़े रहे हैं। राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक मूल्यों और विकास के एजेंडे पर वह तगड़े ढंग से बोलते हैं। इसके अलावा, मीडिया और जनता के बीच वह पार्टी का विश्वसनीय चेहरा हैं।
जाति और क्षेत्रीय समीकरण: सुधांशु त्रिवेदी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और जातीय समीकरण की बात करें, तो वह ब्राह्मण जाति से आते हैं। बीजेपी और संघ को मजबूती से समर्थन देने वाला समुदाय ब्राह्मण रहा है। उत्तर प्रदेश पार्टी और संघ दोनों के लिए महत्वपूर्ण है और यह बात सुधांशु के पक्ष में जाती है। जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के लिहाज से भी सुधांशु फिट बैठते हैं।
विपक्ष पर आक्रामक रुख: महंगाई, विकास और राष्ट्रहित जैसे मुद्दों पर वे विपक्ष को घेरने में माहिर हैं। उनका यह आक्रामक लेकिन संतुलित रुख उन्हें एक प्रभावशाली नेता के तौर पर स्थापित करता है। सुधांशु त्रिवेदी का नाम बीजेपी अध्यक्ष की रेस में इसलिए चर्चा में है क्योंकि वे पार्टी की विचारधारा से जुड़े हुए, संगठनात्मक अनुभव वाले और जनता में लोकप्रिय नेता हैं।

Author: Deepak Mittal
