शाजापुर ब्यूरो। मुकेश शर्मा
श्रावण मास में विशेष कर भक्तों के द्वारा शिव की आराधना की जाती है क्योंकि शिव ही शक्ति का स्वरूप है शिव आदी है तो शिव ही अनंत है शिव ही सृष्टि के रचयिता हैं तो पालन करता है शिव कण-कण में समाये है शिव की भक्ति के लिए श्रावण मास का विशेष महत्व रहता है और हर कोई भक्त भोले बाबा की भक्ति में पूरे श्रावण मास में लीन नजर आयेंगे ।
क्षेत्र के शिव मंदिरों में भक्तों के द्वारा पूरे श्रावण मास में कावड़ यात्रा के साथ रूद्र अभिषेक अनुष्ठान व भजन संध्या के भव्य आयोजन किए जाते हैं। वहीं पर क्षेत्र के प्रसिद्ध पांडव कालीन हिमालेश्वर धाम मोरट केवडी पर श्रावण मास के प्रथम सोमवार पर भक्तों का जन सैलाब उमड़ेगा क्योंकि यहां मंदिर आस्था के साथ-साथ चमत्कारों का भी पर्याय बन चुका है.

यहां पांडवों ने तो अज्ञातवास के समय रात्रि कालीन विश्राम कर अपना समय बिताया था और स्वयं शिव पिंड की स्थापना अपने गंतव्य की और निकल गए थे वहीं पर साधु सतों की जीवंत समाधियां भी इस मंदिर की ओर भक्तों को आकर्षित करती है जो समाधियां आज भी मंदिर के पास मौजूद हैं जो भी भक्त भोले बाबा के दरबार में अपनी मन्नत लेकर आते हैं भोले बाबा उनकी मनोकामना पूरी करते हैं।
26 एकड़ में फैली हरियाली क्षेत्र के पर्यटको को कर रही अपनी ओर आकर्षित
मंदिर के नाम से वैसे तो शासकीय रिकॉर्ड में 2 बीधा भूमि दर्ज है लेकिन मंदिर के आसपास 26 एकड़ भूमि मे फैली हरियाली कहीं न कहीं क्षेत्रों के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है यहां भोपाल इंदौर से ले करके पूरे मध्यप्रदेश से नागरिक बाबा के दर्शन करने व घूमने के लिए आते हैं.
लेकिन कहीं ना कहीं इस मंदिर को लेकर विगत कई वर्षों से लगातार ग्रामीणों व आसपास के क्षेत्र के श्रद्धालु के द्वारा जनप्रतिनिधियों से पर्यटन के क्षेत्र में निर्माण कार्य करने की गुहार लगाई परंतु आज तक जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण पर्यटन के क्षेत्र में पर्यटकों के लिए कुछ भी कार्य नहीं हो पाया है.
जबकि यहां पर श्रद्धालुओं के लिए घाट निर्माण से लेकर रात्रि विश्राम हेतु धर्मशाला पिकनिक पॉइंट भी बनाए जा सकते हैं। हिमालेश्वर समिति के कोषाध्यक्ष दौलत सिंह सिंह दांगी के द्वारा कर देते हुए बताया कि जन प्रतिनिधियों को यहां की समस्या को लेकर कई बार अवगत कराया गया लेकिन सिर्फ आश्वासन व मंच से घोषणा के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हो पाया।
