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हरेली में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की बिखरी छटा: मुख्यमंत्री निवास बना लोकपरंपरा का रंगमंच

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Deepak Mittal

हरेली में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की बिखरी छटा: मुख्यमंत्री निवास बना लोकपरंपरा का रंगमंच

सरगुजिहा कला से सजा मुख्य मंडप, बस्तर और मैदानी अंचलों की झलक भी रही खास
सावन झूला, गेड़ी नृत्य, पारंपरिक घर और कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र

दीपक मित्तल प्रधान संपादक छत्तीसगढ़

रायपुर, 24 जुलाई 2025। छत्तीसगढ़ में हरेली केवल पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति और परंपरा के प्रति आभार प्रकट करने का एक उल्लासमय अवसर है। श्रावण अमावस्या पर मनाए जाने वाले इस पर्व के स्वागत में मुख्यमंत्री निवास पूरी तरह छत्तीसगढ़ी संस्कृति और लोकजीवन के रंग में रंगा नजर आया।

मुख्यमंत्री निवास की सजावट तीन भागों में विभाजित रही—प्रवेश द्वार, मध्य तोरण द्वार और मुख्य कार्यक्रम मंडप।
प्रवेश द्वार पर बस्तर की मेटल आर्ट की झलक के साथ पारंपरिक तुरही और भगवान गणेश की आकृति ने आगंतुकों का स्वागत किया। वहीं घोड़े की आकृति ने छत्तीसगढ़ी शिल्पकला की पहचान को सजीव किया।

तोरण द्वार को पारंपरिक टोकनी, नीम-आम की पत्तियों की झालर और रंग-बिरंगी झंडियों से सजाया गया था, जो हरेली की पारंपरिक गरिमा को दर्शा रहा था। चारों ओर सजी छोटी-छोटी रंग-बिरंगी गेड़ियाँ विशेष आकर्षण का केंद्र बनी रहीं।

मुख्य मंडप की सजावट सरगुजिहा कला पर केंद्रित रही। मंडप की छत को पैरा से छाया गया था, जिसमें सरगुजा की भित्ति चित्रकला के जीवंत चित्रों ने लोकसंस्कृति को जीवंत कर दिया। बैलगाड़ी के चक्के की रंगीन सजावट ने पारंपरिक परिवेश को और भी प्रखर रूप दिया।

मुख्य मंडप के एक ओर बना ग्रामीण छत्तीसगढ़ का पारंपरिक घर भी देखने लायक था। यहाँ तुलसी चौरा, गौशाला, गोबर के उपले, कृषि यंत्रों की सजावट और रजवार पेंटिंग से सजी दीवारों ने गाँव की झलक को यथार्थ रूप में साकार किया।

कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी ने आधुनिक और पारंपरिक तकनीकों को एक साथ प्रस्तुत किया। इसमें पैडी सीडर, जुड़ा, बियासी हल, तेंदुआ हल और ट्रैक्टर जैसे यंत्र शामिल थे।

लोकविलास और स्वाद का संगम
मंडप के एक हिस्से में पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन परोसे गए, वहीं सावन का झूला और रहचुली झूला सावन की फुहारों भरे माहौल को जीवंत कर रहे थे।

नृत्य-गीत में रचा-बसा हरेली का उत्सव

हरेली पर्व के मौके पर गेड़ी नृत्य और राउत नाचा की शानदार प्रस्तुतियाँ हुईं।
गेड़ी नृत्य दल बिलासपुर से आमंत्रित था, जिसकी पारंपरिक परिधान—परसन वस्त्र, सीकबंद मयूर मुकुट, कौड़ी-जड़ी जैकेट और चिनीमिट्टी की माला—ने सभी का मन मोह लिया। माँदर, झाँझ, झुमका, हारमोनियम और बाँसुरी की संगत में प्रस्तुत नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

राउत नाचा के लिए पिथौरा से पहुँचे दल में पुरुष और महिलाएँ पारंपरिक श्रृंगार और वेशभूषा में शामिल हुए। राउतों ने सिर पर कलगी लगी पगड़ी, घुँघरू, बाजूबंद और पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ नृत्य की प्रस्तुति दी। इस मौके पर उपस्थित कलाकारों ने बताया कि मुख्यमंत्री निवास में प्रस्तुति देना उनके लिए गर्व और उत्साह का विषय होता है।

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Author: Deepak Mittal

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