अम्मान (जॉर्डन): अंतरराष्ट्रीय कूटनीति अक्सर सख्त प्रोटोकॉल, तयशुदा बैठकों और औपचारिक बयानों तक सीमित मानी जाती है। लेकिन कभी-कभी कैमरे में कैद हो जाता है ऐसा लम्हा, जो बता देता है कि रिश्ते सिर्फ दस्तावेजों से नहीं, भरोसे और अपनत्व से बनते हैं।
जॉर्डन से सामने आई एक तस्वीर ने यही कहानी कह दी है। जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय खुद गाड़ी चलाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदा करते नजर आए। न कोई औपचारिक मोटरकेड, न तयशुदा प्रोटोकॉल—सिर्फ दो नेताओं के बीच सहज बातचीत और गर्मजोशी।
दो दिन की यात्रा, लेकिन यादगार विदाई
प्रधानमंत्री मोदी के दो दिवसीय जॉर्डन दौरे के समापन पर क्राउन प्रिंस ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से जॉर्डन म्यूजियम और एयरपोर्ट तक ड्राइव कर ले जाने का फैसला किया। यह महज एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक ऐसा संकेत था जो बताता है कि भारत-जॉर्डन संबंध अब कागजी समझौतों से आगे बढ़ चुके हैं।
जब नेता मेहमान नहीं, दोस्त बन जाते हैं
पैगम्बर मोहम्मद साहब की 42वीं पीढ़ी के वंशज माने जाने वाले क्राउन प्रिंस का यह कदम एक स्पष्ट कूटनीतिक संदेश देता है—भारत और जॉर्डन के रिश्ते अब केवल रणनीतिक साझेदारी नहीं, बल्कि व्यक्तिगत विश्वास और आपसी सम्मान पर टिके हैं।
पहले भी दिखी है ‘वार्म डिप्लोमेसी’
यह पहला मौका नहीं है जब पीएम मोदी के साथ वैश्विक मंच पर ऐसी गर्माहट दिखी हो। चीन दौरे के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को खुद लिफ्ट दी थी। वहीं पुतिन के भारत दौरे पर दोनों नेता एयरपोर्ट से प्रधानमंत्री आवास तक साथ-साथ सफर करते नजर आए थे। ये दृश्य बताते हैं कि आज की कूटनीति सिर्फ बातचीत की मेज तक सीमित नहीं रही।
तस्वीर में छुपा साफ संदेश
इस एक तस्वीर और इस यात्रा ने साफ कर दिया है कि भारत के वैश्विक रिश्ते अब ऑफिशियल हैंडशेक से आगे बढ़ चुके हैं। व्यक्तिगत जुड़ाव, भरोसा और सम्मान—यही वह सॉफ्ट पावर है जो भारत को आज दुनिया में अलग पहचान दिला रही है।
कभी कोई नेता खुद गाड़ी चलाता है, कभी कोई साथ बैठकर रास्ता तय करता है—और यही बदली हुई कूटनीति की असली तस्वीर है।
Author: Deepak Mittal










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