सावन के रंग में रंगी भोलेनाथ की भक्ति: शिक्षिका डॉ. सरिता चौहान की कविता ने दिल छू लिया

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Deepak Mittal

____हर हर महादेव ___
भोला नगरिया जाऊंगी
सावन वही बिताऊंगी
सावन में जल चढ़ाऊंगी
बेलपत्र भांग धतूरा लेकर
भोले को अपने मनाऊंगी।
भक्तों की लगी है लंबी कतार
मैं भी खड़ी हूं आने को तेरे द्वार।
डम डमरू बाज रहे हैं
भोले जी कैलाश चढ़े हैं।
महेश सुरेश नागेश नंदीश
अपने अविनाशी शिवजी का नाम
नित उठ ध्यान लगाऊंगी
गंगा में डुबकी लगाऊंगी
गंगाजल भरा लाऊंगी
गंगाजल चढ़ाऊंगी
जब भी चाहूं दर्शन पाऊं
ऐसी अलख जगाऊंगी
शाला दुसाला का क्या काम है
मृग के छाल का बड़ी नाम है।
महला दो महला का क्या काम है
टूटे ही मड़ाया का बड़ी नाम है।
मेवा मलाई का क्या काम है
भंगिया के गोले का बड़ी नाम है।
मोटर गाड़ी का क्या काम है है
बसहाबैल का बड़ी नाम है।
भक्तों की लगी है लंबी कतार
हम तो आए हैं भोले तेरे द्वार।
विनती करो मेरी स्वीकार
हम तो आए हैं भोले तेरे द्वार।।

‌ स्वरचित
डॉक्टर सरिता चौहान
पीएम श्री एडी राजकीय कन्या इंटर कॉलेज
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

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Author: Deepak Mittal

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