गिरिबापु की शिवकथा में बहा भक्ति का अमृत, मुंगेली बनी आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र

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श्रद्धा, शिवत्व और संगीत से सराबोर हुआ वातावरण

निर्मल अग्रवाल, ब्यूरो प्रमुख, मुंगेली
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मुंगेली : शांत प्रकृति और सरल संस्कृति के लिए पहचाने जाने वाले मुंगेली की धरती इन दिनों एक अलौकिक अध्यात्मिक ऊर्जा से गूंज रही है। परम पूज्य गिरिबापु के श्रीमुख से श्री शिवकथा का रसपान कर रहे श्रद्धालु हर दिन भक्ति और भाव में डूबते जा रहे हैं।

कथा के तीसरे दिन, गुरुवार को गिरिबापु ने भगवान शिव के नीलकंठ स्वरूप, सर्वरूपता, ब्रह्मा द्वारा नारद को सुनाई गई शिव कथा, और शिव की भक्तों पर कृपा जैसे गूढ़ प्रसंगों को अत्यंत सरल, हृदयस्पर्शी और प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया। उनके शब्द श्रोताओं के हृदय को स्पर्श कर गए  “शिव वो नहीं जिन्हें हम बाहर खोजते हैं, शिव वो हैं जो भीतर मौन में बैठकर हमें जीवन का अर्थ समझाते हैं।”

कथा के दौरान जब भजनों की मधुर स्वर-लहरियों के साथ शिव महिमा का बखान हुआ, तो संपूर्ण वातावरण भक्तिरस में डूब गया। किसी की आँखों से अश्रुधारा बही तो कोई मौन समाधि में डूबा रहा  सभी श्रद्धालु कथा के प्रसंगों को सिर्फ सुन नहीं रहे थे, जी रहे थे।

कथा के उपरांत सामूहिक आरती और प्रसाद वितरण किया गया। आयोजन स्थल को दीपों, पुष्पों और रुद्राक्षों से इस भांति सजाया गया था कि संपूर्ण परिसर कैलाश का आभास करा रहा था।

इस दिव्य आयोजन में मुंगेली ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों और शहरों से भी हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कथा पंडाल से बाहर तक श्रद्धा और शांति का अपार प्रवाह देखने को मिला। आयोजन समिति द्वारा जलपान, बैठने और सुरक्षा की उत्कृष्ट व्यवस्था की गई थी, जिससे हर आगंतुक को सहजता और श्रद्धा का संपूर्ण अनुभव मिल सका।

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Author: Deepak Mittal

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