दीपावली की रात भी नहीं बुझी ‘लाल पानी’ की आग… ग्रामीणों ने त्यौहार छोड़ आंदोलन स्थल पर जलाए विरोध के दीप!
दीपावली पर भी नहीं थमा ‘लाल पानी’ प्रभावितों का आंदोलन — रोजगार और मुआवज़े की मांग पर ग्रामीण अड़े रहे
बालोद। दीपावली जैसे खुशी और रोशनी के पर्व पर जहां पूरा देश जश्न में डूबा था, वहीं लाल पानी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण आंदोलन की आग में तपते रहे। 16 अक्टूबर से जारी यह अनिश्चितकालीन आंदोलन दीपावली की रात भी थमा नहीं। ग्रामीणों ने घर की दीपमालाओं की बजाय आंदोलन स्थल पर विरोध के दीप जलाए, और बीएसपी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की।
आंदोलन का निर्णायक चरण
आंदोलनकारियों का कहना है कि अब उनका सब्र जवाब दे चुका है। कुमुड़कट्टा, कोपेडेरा और नलकसा के ग्रामीणों का आरोप है कि भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) प्रबंधन ने सालों से रोजगार और मुआवज़े के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिए, लेकिन ज़मीन पर कुछ नहीं हुआ। लाल पानी के कारण उनकी ज़मीनें बंजर हो चुकी हैं और रोज़गार की राह पूरी तरह बंद हो गई है।
दीपावली की रात बनी प्रतीक विरोध की
दीपावली की रात आंदोलन स्थल पर महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी मौजूद रहे। घर-आंगन में दीये नहीं जले, बल्कि पंडाल के नीचे विरोध की मशालें जलती रहीं। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उन्हें रोजगार की गारंटी और उचित मुआवज़ा नहीं मिलता, वे आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे।
प्रशासन की नज़र, हालात तनावपूर्ण
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं हुआ, तो आंदोलन और उग्र होगा। वहीं, बीएसपी के कामकाज पर भी असर दिखने लगा है — खदानों और प्लांट की ओर जाने वाले रास्तों पर रुकावट बनी हुई है।
प्रशासनिक अधिकारी लगातार हालात की निगरानी कर रहे हैं। फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताई जा रही है।

Author: Deepak Mittal
