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बड़ियाडीह में स्टील उद्योग की स्थापना से पर्यावरणीय संकट की ओर बढ़ता मदकू द्वीप द्वीप क्षेत्र की जैवविविधता खतरे में..

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Deepak Mittal

निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111

सरगांव – मुंगेली जिले के सरगांव तहसील अंतर्गत ग्राम बड़ियाडीह एवं लमती की भूमि पर मेसर्स एलएन स्टील एंड अलॉयज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ग्रीनफील्ड स्टील प्लांट की स्थापना का प्रस्ताव क्षेत्रीय पर्यावरण एवं सांस्कृतिक विरासत के लिए गंभीर खतरे की आशंका पैदा कर रहा है।

प्रस्तावित प्लांट में 4,95,000 टीपीए पेलेट प्लांट, 3,30,000 टीपीए स्पंज आयरन उत्पादन हेतु डीआरआई किल्स, 2,97,000 टीपीए हॉट बिलेट व एमएस बिलेट निर्माण हेतु इंडक्शन फर्नेस, और 3,30,000 टीपीए टीएमटी बार उत्पादन हेतु रोलिंग मिल सहित कई भारी औद्योगिक इकाइयां शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, 40 मेगावाट क्षमता का विद्युत उत्पादन संयंत्र भी प्रस्तावित है।

चिंता का विषय यह है कि यह औद्योगिक इकाई प्रसिद्ध पुरातात्विक एवं धार्मिक स्थल श्री हरिहर क्षेत्र केदार द्वीप मदकू से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित की जा रही है। यह द्वीप क्षेत्र जैवविविधता, धार्मिक मान्यता, और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। पर्यावरणीय विशेषज्ञों और स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि प्लांट से निकलने वाला धुंआ, गैस और धूलकण सीधे द्वीप की जैवविविधता को प्रभावित कर सकते हैं।


प्लांट संचालन हेतु शिवनाथ नदी के जल का दोहन और उससे जल प्रदूषण की आशंका अत्यंत गंभीर है। भारी धातुओं और रसायनों के संपर्क में आने से नदी तंत्र का पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ सकता है।


साथ ही ध्वनि और वायु प्रदूषण से आसपास के वन्य जीवों और पक्षियों का आवास खतरे में आ सकता है।
स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार कर पर्यावरणीय व सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। मदकू द्वीप की शांति, प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक पहचान को बचाना पूरे छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी है।

प्लांट के प्रस्तावित स्थल पर छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वपूर्ण बहुउद्देशीय पेयजल योजना स्वीकृत है, जिसके प्रथम चरण का कार्य प्रगतिरत है। उक्त परियोजना से बड़ीयाडीह सहित 22 ग्रामों को पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी है। प्लांट की स्थापना से न केवल इस योजना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, बल्कि भविष्य में पेयजल संकट भी उत्पन्न हो सकता है। साथ ही आसपास के ग्रामीण एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि
परिवहन व्यवस्था को लेकर चिंतित हैं।


ग्रामीणों का कहना है कि कोयला और लोहा के परिवहन के लिए जिस सड़क मार्ग का उपयोग किया जाना प्रस्तावित है, उसकी वर्तमान क्षमता बहुत कम है। भारी ट्रकों और ट्रालों के आवागमन से सड़कें जर्जर होंगी, जिससे स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ विश्व प्रसिद्ध मदकू द्वीप और देवरानी-जेठानी मंदिर आने वाले पर्यटकों को भी आवागमन में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।


उक्त बिंदुओं के आधार पर ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों के द्वारा जनहित और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए दिनांक 25-04-2025 को प्रस्तावित लोक सुनवाई को तत्काल स्थगित कर प्लांट स्थापना की अनुमति निरस्त की जाए। यदि उक्त जनसुनवाई और प्लांट स्थापना की अनुमति निरस्त नहीं की जाती है तो संभावना है कि ग्रामीणजन आंदोलित हों।
लोक सुनवाई स्थगन और प्लांट स्थापना की अनुमति निरस्त करने की मांग को लेकर सरपंचों ने ज्ञापन सौंपा है।

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Author: Deepak Mittal

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