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भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ी गई सबसे बड़ी लड़ाई, 93 हजार सैनिकों ने किया था सरेंडर

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Deepak Mittal

साल 1971 की लड़ाई को भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ी गई सबसे बड़ी लड़ाईयों में से एक माना जाता है। साल 1971 की लड़ाई भारतीय सेना ने दो मोर्चों पर लड़ी। इस युद्ध को भारत पाकिस्तान युद्ध या फिर बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।

यह युद्ध कुल 13 दिनों तक चला, लेकिन इसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को जो धूल चटाया कि पाकिस्तान आज तक उसे भूल नहीं पाया है और आए दिन पाकिस्तान की मीडिया में उस युद्ध को लेकर पाकिस्तान की सेना की किरकिरी होती ही रहती है। इस युद्ध का परिणाम ये हुआ कि पूर्वी पाकिस्तान जो आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है, उसको अलग देश घोषित कर दिया गया। यह युद्ध 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ, जब पाकिस्तान की वायुसेना ने भारतीय क्षेत्र पर हमला किया। इसके बाद इस युद्ध में भारतीय सेना कूद पड़ी।

युद्ध के कारण

दरअसल पूर्वी पाकिस्तान के लोग खुद को पाकिस्तान से अलग करना चाहते थे। वो चाहते थे कि बंगाली मुसलमानों का एक अलग देश हो। ऐसे में शेख मुजीबुर रहमान लगातार इसके लिए आंदोलनों की अगुवाई कर रहे थे। ऐसे में पाकिस्तान सेना द्वारा पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली नागरिकों पर लगातार अत्याचार किया जाने लगा। पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता आंदोलन की मांग तेज होने लगी और मुक्ति वाहिनी का निर्माण किया गया। यह मुक्ति वाहिनी पाकिस्तानी सेना के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रही थी। ऐसे में पाकिस्तान ने अपनी सेना को पूर्वी पाकिस्तान में भेज दिया, जिन्होंने बंगाली नागरिकों पर खूब जुल्म ढाया। कहीं कॉलेज के छात्रों को गोली मारी गई तो कहीं महिलाओं का बलात्कार।

युद्ध की शुरुआत

मुक्ति वाहिनी को भारत सरकार द्वारा समर्थन दिया जा रहा था। साथ ही भारत चाहता था कि पाकिस्तान जो बंगाली नागरिकों पर जुल्म ढा रहा है, उसका समाधान निकाला जाए। भारतीय सेना इस युद्ध में जाना चाहती थी। लेकिन भारतीय सेना को इंतजार था पाकिस्तान की एक गलती का। इस बीच पाकिस्तान द्वारा ऑपरेशन चंगेज खान चलाया गया, जिसके बाद पाकिस्तान की वायुसेना ने भारतीय क्षेत्र में हमला कर दिया। इसका परिणाम ये हुआ कि भारतीय सेना ने दोनों मोर्चों पर युद्ध की शुरुआत कर दी। इस युद्ध में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा और 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया। बता दें कि पाकिस्तानी सेना के 93,000 हथियार बंद सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। इसके बाद एक नये देश का उदय हुआ, जिसे आज हम बांग्लादेश के नाम से जानते हैं। दुनियाभर के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी हथियार बंद सेना के 93 हजार लोगों ने आत्मसमर्पण किया हो। पाकिस्तान के लिए यह एक बुरे सपने की तरह था।

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Author: Deepak Mittal

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