(जे के मिश्र, जिला ब्यूरो चीफ ) बिलासपुर / सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी की पत्नी रंजना दीवान की मौत के मामले में सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया है। यह निर्णय रंजना दीवान की मां और भाई द्वारा दायर याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने उनकी मौत की परिस्थितियों पर संदेह जताया था और निष्पक्ष जांच की मांग की थी।
रंजना दीवान की शादी 2014 में मानवेंद्र सिंह से हुई थी, जो छत्तीसगढ़ उच्च न्यायिक सेवा के तहत अतिरिक्त जिला जज के पद पर थे। मई 2016 में रंजना की मौत की खबर आई, जिसे स्थानीय पुलिस ने आत्महत्या का मामला मानते हुए क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी थी। लेकिन मृतका की मां और भाई ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए अदालत में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने मामले की जांच पर संदेह जताया और इसे हत्या की आशंका बताया।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज कराने का विकल्प दिया। हालांकि, इस फैसले से असंतुष्ट मृतका के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने यह आरोप लगाया कि मामले की निष्पक्ष जांच में न्यायिक अधिकारी मानवेंद्र सिंह का प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आई छह चोटों का भी कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया, जिससे परिवार का संदेह और बढ़ गया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को सुझाव दिया कि मामले की निष्पक्षता के लिए सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे न केवल पीड़ित पक्ष को बल्कि समाज में भी न्याय व्यवस्था पर विश्वास बढ़ेगा।
कोर्ट ने यह मानते हुए कि आरोपी न्यायिक अधिकारी हैं और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है, मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि रंजना के परिवार को न्याय मिलने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मामले की जांच तेजी से पूरी करने का निर्देश दिया और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को हरसंभव सहयोग प्रदान करने को कहा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है और सीबीआई जांच स्वतंत्र रूप से होनी चाहिए।
