
जिला अस्पताल कोण्डागांव में विश्व स्तनपान सप्ताह पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. रूद्र कश्यप, डॉ. राजेश बघेल, आर.सी.एच. नोडल डॉ. ममता ठाकुर, गायनेकोलाजिस्ट डॉ.रीता गेडाम, डीपीएचएन. सुश्री नीतु कर्मकार, एसएनसीयू से ज्योति एवं फैमिली प्लानिंग कांउसलर प्रीति एवं किरण तथा माताएं अपने बच्चे के साथ उपस्थित थे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.के. सिंह द्वारा लोगों से अपील किया गया है कि बच्चे को प्रथम छः माह तक केवल मां का ही दुध पिलाएं तथा छः माह पश्चात तरल पदार्थ भोजन के रूप में दें।
उन्होंने कहा कि शिशु के लिए स्तनपान न केवल सर्वोत्तम ‘‘आहार है तथापि यह शिशु के मानसिक विकास तथा शिशु को डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बचाने और स्वास्थ्य के लिये भी आवश्यक है।

स्तनपान कराने मेें माताओं का सहयोग एवं स्तनपान को बढ़ावा दिया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जन्म के छः माह तक केवल स्तनपान ही कराना चाहिए।
शिशुओं में स्तनपान जन्म के तुंरत पश्चात कराना चाहिए। जन्म के समय शिशु को उपरी आहार या अन्य जैसे घी, शक्कर, शहद इत्यादि नही देना चाहिए यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है।
उपरी आहार छः माह पश्चात प्रारंभ कर सकते हैं। नवजात शिशु को हर 2 घंटे में स्तनपान कराना एवं दिन या रात दोनों समय बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए। माताओं का यह भी ध्यान रखना चाहिए की बच्चे को दुध पिलाने से पहले हल्के गुनगुने पानी से स्तन को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए। स्तनपान में सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि बच्चे के पोजीशन और उसका मां के साथ अटेचमेंट। शिशु को गोद में लेकर ही स्तनपान कराना चाहिए लेटकर दुध पिलाने से दुध श्वास नली में फंसने की संभावना रहती है। स्तनपान कम करने से बच्चे में पानी की कमी होती है और फिर बच्चों में पीलिया की शिकायत सामने आती है।
