जे के मिश्र, जिला ब्यूरो चीफ, नवभारत टाइम्स,
बिलासपुर। संभाग क्रमांक दो के तहत वेयर हाउस रोड पर स्थित हाई कोर्ट जस्टिस बंगला और हाई कोर्ट के तृतीय तल पर जजेस कॉन्फ्रेंस हॉल, मीटिंग रूम, डायनिंग हॉल, किचन और वेटिंग लाउंज की मरम्मत के लिए 29 दिसंबर 2012 को टेंडर जारी किया गया था। इसके बावजूद काम अधूरा रहने और भुगतान में अनियमितता के चलते खनिज विभाग ने एसडीओ संजय श्रीवास्तव और सब इंजीनियर आरके मिंज को निलंबित कर दिया है।
लोक निर्माण विभाग के संभाग क्रमांक दो में ठेकेदार को 30 लाख रुपये के गलत तरीके से भुगतान के मामले में इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। लेकिन, इस मामले में मुख्य दोषी माने जा रहे ईई अरविंद चौरसिया और प्रभारी ईई वाईएनके शास्त्री पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। वर्तमान में चौरसिया रिटायर हो चुके हैं, जबकि शास्त्री अब भी संभाग में ईई का पद संभाल रहे हैं।
गड़बड़ी की शुरुआत
वेयर हाउस रोड स्थित हाई कोर्ट जस्टिस बंगला और हाई कोर्ट के तृतीय तल में मरम्मत कार्य के लिए मां लक्ष्मी एजेंसी के प्रोपराइटर प्रियांश द्विवेदी को ठेका दिया गया था। अजीब बात यह थी कि टेंडर जारी होने के अगले ही दिन 30 दिसंबर 2012 को काम पूरा होने की बात कहकर माप पुस्तिका तैयार कर ली गई। इसके बाद, ठेकेदार द्वारा बिल जमा करने पर लेखा कार्यालय ने इसे नियम विरुद्ध मानकर वापस कर दिया। बाद में नंबर बदलकर ओटीपी प्राप्त किया गया और ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया।
इस मामले की जांच के लिए चीफ इंजीनियर संजय कोर्राम ने एक टीम गठित की, जिसने अपनी रिपोर्ट मुख्य अभियंता कार्यालय को सौंपी। जांच में एसडीओ और सब इंजीनियर को दोषी पाया गया और उन्हें निलंबित कर दिया गया। लेकिन, मुख्य अभियंता अरविंद चौरसिया के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
टेंडरों में हुई अनियमितताएं
अनुबंध क्रमांक 123:
कार्य: वेयर हाउस रोड स्थित हाई कोर्ट जज बंगला
स्वीकृत राशि: 19.99 लाख रुपये
टेंडर: 9.20 लाख रुपये
अनुबंध क्रमांक 122:
कार्य: हाई कोर्ट के तृतीय तल पर जजेस कॉन्फ्रेंस हॉल और मीटिंग रूम
स्वीकृत राशि: 19.99 लाख रुपये
टेंडर: 10.39 लाख रुपये
अनुबंध क्रमांक 121:
कार्य: हाई कोर्ट के तृतीय तल पर डायनिंग हॉल, किचन और वेटिंग लाउंज
स्वीकृत राशि: 19.97 लाख रुपये
टेंडर: 10.78 लाख रुपये
सेवानिवृत्ति के बाद भी मिला भुगतान
ईई अरविंद चौरसिया ने 29 दिसंबर 2023 को वर्क ऑर्डर जारी किया और अगले ही दिन 30 दिसंबर को काम पूरा होने का दावा किया। इसके बाद, माप पुस्तिका भरकर भुगतान के लिए बिल भेज दिया गया। जब लेखा कार्यालय ने नियमों के खिलाफ इसे लौटा दिया, तब मोबाइल नंबर बदलकर ओटीपी प्राप्त किया गया और ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया।
अन्य शामिल व्यक्ति:
अरविंद चौरसिया (ईई): उन्होंने बाबू रमेश कोरी से कहा कि एनआईसी से मोबाइल नंबर बदलवा लें, जिसके बाद ओटीपी प्राप्त कर ठेकेदार को तीन चेक के जरिए भुगतान कर दिया गया।
रमेश कोरी (बाबू): ईई के निर्देश पर उन्होंने लेखा अधिकारी के छुट्टी पर जाने के बाद अपना मोबाइल नंबर दर्ज कराया और ओटीपी के माध्यम से भुगतान की प्रक्रिया को पूरा किया।
एजाज अहमद (कंप्यूटर ऑपरेटर): उन्होंने रमेश कोरी के कहने पर एनआईसी से नंबर बदलवाया और भुगतान प्रक्रिया को पूरा किया।
प्रियांश द्विवेदी (ठेकेदार): यह रिटायर्ड सब इंजीनियर केपी द्विवेदी का पुत्र है, जिसने बिना काम किए ही विभाग से भुगतान प्राप्त कर लिया।

Author: Deepak Mittal
