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सामाजिक एवं राजनैतिक योगदान व कर्मठता को नमन..

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Deepak Mittal

अपने आवास में कड़ाके के ठंड में आगंतुकों को रात में कंबल ओढ़ाती ऐसी थी ममतामयी मिनीमाता

मिनीमाता की 53वीं पुण्यतिथि,पर्यावरण महोत्सव के साथ मनाया गया

निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111

मुंगेली:-डॉ. भीमराव अम्बेडकर शिक्षण संस्थान द्वारा संचालित डॉ. भीमराव अम्बेडकर आवासीय विद्यालय में ममतामयी मिनीमाता की 53वीं पुण्यतिथि के साथ पर्यावरण महोत्सव मनाया गया इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष राजेन्द्र दिवाकर, व्यवस्थापक एच.आर.भास्कर तथा अभिभावक एवं पार्षद संजय चंदेल द्वारा ममतामयी मिनीमाता की छायाचित्र के समक्ष द्वीप प्रज्जवलन कर श्रद्धासुमन अर्पित किया गया।

मिनीमाता के सामाजिक और राजनैतिक योगदान और कर्मठता को नमन किया। कहा जाता है कि ठण्ड के मौसम में क्षेत्र के लोग जब दिल्ली जाते थे और उनके आवास में ठहरते थे तब देर रात को उनके कमरे में जाकर देखती कि कंबल के खिसकने पर ठंड से सिकुड़े हुए हैं तब उन्हें कंबल ओंढ़ाती। ऐसी थी ममतामयी मिनीमाता।

तत्पश्चात सभी कक्षाओं में शिक्षकों द्वारा ममतामयी मिनीमाता के जन्म से लेकर उनके द्वारा किये गये सामाजिक एवं राजनीतिक योगदान को बताया गया। मिनीमाता एक कर्मठ महिला थी। वे छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद थीं। वे 1952 से लगातार पाँच बार सांसद चुनी गई थीं। समाज में व्याप्त छुआछूत, गरीबी, अशिक्षा तथा पिछड़ापन को दूर करने के लिए मिनीमाता ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

नारी शिक्षा, मजदूरों के उत्थान के लिए काम करने के साथ-साथ उन्होंने बाल-विवाह, और दहेज प्रथा जैसे सामाजिक कुरूतियों के खिलाफ समाज से संसद तक अपनी आवाज को बुलंद किया। अस्पृश्यता निवारण विधेयक को संसद में पास करवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

छत्तीसगढ़ में कृषि तथा सिंचाई के लिए हसदेव बांध परियोजना भी उन्हीं की दूर-दृष्टि का परिणाम है भिलाई इस्पात संयंत्र में स्थानीय निवासियों को रोजगार और औद्यौगिक प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में आज भी उन्हें याद किया जाता है हम सब ऐसे व्यक्तित्व पर गर्व करते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा उनके सम्मान में प्रतिवर्ष महिलाओं के विकास के क्षेत्र में काम करने वालों को मिनीमाता सम्मान देती है।

प्रदेश में विधानसभा भवन भी मिनीमाता के नाम बना है। ऐसे गुरूमाता का आज ही के दिन 11 अगस्त 1972 को विमान दुर्घटना में दुखद निधन हो गया। मिनीमाता के पुण्यतिथि के अवसर पर शिक्षकों एवं छात्रों में मां के नाम एक पौधा रोपण किया गया ।

और अंत में सभी के द्वारा ममतामयी मिनीमाता की पुण्यतिथि पर दो मिनट मौन श्रद्धांजली अर्पित किया गया। इस अवसर पर संस्थान के पदाधिकारीगण, प्राचार्य आशा दिवाकर, सह प्राचार्य छत्रपाल डाहिरे, शिक्षक-शिक्षिका, छात्र-छात्रा एवं अभिभावक आदि उपस्थित रहे।

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Author: Deepak Mittal

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