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बिलासपुर में लगातार हो रही एफआईआर से पत्रकारों में नाराजगी..

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Deepak Mittal

जे के मिश्र
जिला ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स 24 7in बिलासपुर

बिलासपुर में बीते कुछ दिनों से पत्रकारों के खिलाफ लगातार एफआईआर दर्ज होने से मीडिया जगत में रोष व्याप्त है। एक महीने के भीतर आठ से अधिक पत्रकारों पर भयादोहन जैसे गंभीर आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। आरोप है कि कुछ शिकायतकर्ता अपनी खामियों को छुपाने के लिए पुलिस का उपयोग कर पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं।

इस एकतरफा कार्रवाई से आक्रोशित होकर मंगलवार को बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली के नेतृत्व में प्रेस क्लब की कार्यकारिणी और पत्रकारों ने एसपी कार्यालय पहुंचकर विरोध दर्ज कराया। पत्रकारों ने ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि किसी भी पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच और पर्याप्त प्रमाण होना आवश्यक है।

प्रेस क्लब के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि अति उत्साही कार्रवाई यह दर्शाती है कि जैसे पुलिस और पत्रकारों के बीच कोई व्यक्तिगत रंजिश हो। उन्होंने मांग की कि जांच पूरी हुए बिना न तो किसी पत्रकार को गिरफ्तार किया जाए और न ही उन्हें अनावश्यक परेशान किया जाए।

इस संबंध में पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने पत्रकारों को आश्वासन दिया कि अब किसी भी पत्रकार की गिरफ्तारी बिना जांच और पुख्ता प्रमाण के नहीं की जाएगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ललिता कुमारी बनाम स्टेट मामले का हवाला देते हुए कहा कि संज्ञेय अपराधों में कानूनन तत्काल कदम उठाना आवश्यक होता है, लेकिन पुलिस पूरी सावधानी से काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि जिन मामलों में एफआईआर हुई है, उनमें पर्याप्त प्रमाण थे। फिर भी पत्रकारों की भावनाओं का सम्मान करते हुए यह निर्देश दिया गया है कि हर मामले में गंभीरता से जांच कर आगे की कार्रवाई की जाए। अगर पत्रकार निर्दोष हैं तो उन्हें किसी प्रकार से डरने की आवश्यकता नहीं है।

प्रतिनिधिमंडल में दिलीप जगवानी, महेश तिवारी, अखलाख खान, मनीष शर्मा, लोकेश वाघमारे, छवि कश्यप, अमन पांडेय, पिंटू दुबे, राकेश मिश्रा, रवि शुक्ला, तीरथ लहरे, जितेंद्र थवाइत, सत्येंद्र वर्मा, श्याम पाठक, जिया खान, जेपी अग्रवाल, रोशन वैद्य, नरेंद्र ठाकुर, गोलू कश्यप, अमित पाटले, कैलाश यादव, घनश्याम गंधर्व सहित अन्य पत्रकार शामिल रहे।

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Author: Deepak Mittal

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